💼 रिटायर्ड कर्मचारी से वेतन वसूली गैरकानूनी, हाईकोर्ट ने आदेश किया रद्द
⚖️ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, विभागीय आदेश को बताया असंवैधानिक
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में रिटायर्ड कर्मचारी से वेतन की वसूली को गैरकानूनी करार देते हुए विभागीय आदेश को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की एकलपीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया।रिटायर्ड कर्मचारी से वेतन वसूली गैरकानूनी
👨💼 कौन हैं अहमद हुसैन?
यह मामला कोरबा निवासी 63 वर्षीय अहमद हुसैन से जुड़ा है, जो स्वास्थ्य विभाग में हेड क्लर्क के पद से रिटायर हो चुके हैं।
उन्हें 1 जून 2023 को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें लिखा था कि—
“उन्हें 1 जनवरी 1986 से 28 फरवरी 2023 तक गलती से अधिक वेतन दिया गया, जिसकी वसूली की जाएगी।”
⚖️ याचिकाकर्ता का पक्ष: वसूली सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ
अहमद हुसैन के वकील डॉ. सुदीप अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि—
- यह वसूली सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह बनाम भारत सरकार (2015) के फैसले के खिलाफ है।
- याचिकाकर्ता एक क्लास-थ्री कर्मचारी हैं।
- उन्हें अतिरिक्त वेतन की कोई जानकारी नहीं थी।
- यह वसूली वित्तीय संकट और मानसिक पीड़ा का कारण बन सकती है।
🏛️ हाईकोर्ट का स्पष्ट आदेश
कोर्ट ने कहा कि—
“कर्मचारी से सेवानिवृत्त होने के बाद **अचानक वसूली का आदेश न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि यह कर्मचारी की गरिमा और सम्मान के खिलाफ भी है।”
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए विभागीय आदेश को पूर्ण रूप से निरस्त कर दिया।
📚 सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ: रफीक मसीह मामला बना आधार
इस मामले में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 के निर्णय का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि—
“रिटायर्ड, निम्नवर्गीय, अशिक्षित कर्मचारियों से किसी भी प्रकार की वेतनवसूली अनुचित और अवैधानिक है।”रिटायर्ड कर्मचारी से वेतन वसूली गैरकानूनी