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बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला: विकास ठप, अफसर मालामाल, सरपंच परेशान!

गांवों के तालाब, नाली और अहाते के लिए आई निधि अधिकारियों की तिजोरियों में, जनता त्रस्त और सरपंच कर्ज में डूबे।

बालोद : बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला: विकास ठप, अफसर मालामाल, सरपंच परेशान! छत्तीसगढ़ के बालोद जिले की पंचायतों में विकास की गाड़ी पटरी से उतर चुकी है। गांवों के उत्थान के लिए भेजी गई योजनाएं कागजों तक सीमित हैं, जबकि अधिकारी और कर्मचारी कथित तौर पर अपनी तिजोरियां भरने में लगे हैं। इस गंभीर स्थिति से न केवल ग्रामीण विकास प्रभावित हो रहा है, बल्कि सरपंच भी आर्थिक संकट और बदनामी के गहरे दलदल में फंसते जा रहे हैं।

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विकास की राह में रोड़ा: कमीशन और रिश्वत का खेल

बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला: विकास ठप, अफसर मालामाल, सरपंच परेशान!

तालाब निर्माण, नाली खुदाई और अहाता बनाने जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आवंटित निधि योजनाओं तक पहुंचने से पहले ही कथित तौर पर अधिकारियों की जेब में जा रही है। कई परियोजनाएं स्वीकृत होने के बावजूद भुगतान लंबित पड़ा है, और इसका मुख्य कारण रिश्वत तथा कमीशन का पुराना खेल बताया जा रहा है। टटेंगा पंचायत में विकास योजनाएं महीनों से ठप पड़ी हैं, वहीं सांकरा पंचायत की दीवारों की जांच वर्षों से अधर में लटकी हुई है। सरकारें बदलीं, सरपंच बदले, लेकिन भ्रष्टाचार की यह व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला

अधिकारी ‘ऐश’ में, सरपंच कर्ज में

बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला: विकास ठप, अफसर मालामाल, सरपंच परेशान!

एक तरफ, अधिकारी और कर्मचारी महंगे बंगले, चमचमाती गाड़ियां और आलीशान जीवनशैली का आनंद ले रहे हैं, जो उनकी कथित भव्य जीवन शैली का प्रमाण है। दूसरी ओर, पंचायत प्रतिनिधि यानी सरपंच लगातार आर्थिक दबाव और बदनामी झेल रहे हैं। सरपंचों का कहना है कि काम उनके द्वारा कराए जाते हैं और पैसा उनके खातों में आता है, लेकिन अंतिम लाभ अधिकारी और कर्मचारी ही उठाते हैं। “बिना चढ़ावे के कोई निर्माण या मरम्मत पूरी नहीं होती,” यह उनका स्पष्ट आरोप है। यह केवल प्रशासनिक कमजोरी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का सीधा प्रमाण है, जो ग्रामीण विकास को पूरी तरह से बाधित कर रहा है।बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला

जनता को नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ

बालोद जिले में यह समस्या व्यापक रूप से फैली हुई है। जनता के लिए यह स्थिति बेहद निराशाजनक है, क्योंकि उन्हें उन सेवाओं और योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिनके वे हकदार हैं। अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए निधि का दुरुपयोग कर रहे हैं, जबकि पंचायतों में काम ठप पड़े हैं और प्रशासनिक प्रणाली जवाबदेही से दूर है।बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला

सवाल: व्यवस्था या भ्रष्टाचार का स्थायी ठेका?

बालोद की पंचायतों की यह वास्तविक स्थिति एक गंभीर सवाल खड़ा करती है: क्या यह एक प्रशासनिक व्यवस्था है या भ्रष्टाचार का एक स्थायी ठेका? जनता जानना चाहती है कि कब तक उनके हक की विकास योजनाओं का पैसा अधिकारियों की चमक-धमक में ही समाप्त होता रहेगा और गांवों का विकास केवल कागजों तक ही सिमटा रहेगा। इस स्थिति पर तत्काल ध्यान देने और ठोस कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक विकास हो सके और जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जा सके।बालोद की पंचायतों में भ्रष्टाचार का बोलबाला

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