रायपुर: छत्तीसगढ़ के मरवाही वनमण्डल अंतर्गत आदिवासी क्षेत्र के खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन जैसे मूल्यवान पेड़ों की अवैध कटाई की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वन परिक्षेत्र कार्यालय के प्रभारी रेंजर मनीष श्रीवास्तव की निष्क्रियता के कारण यह समस्या और गंभीर हो गई है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि वन विभाग ने अब तक इस अवैध गतिविधि पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है, जिससे तस्करों के हौसले और भी बुलंद हो गए हैं। खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन पेड़ों की अवैध कटाई और वन तस्करी का बढ़ता खतरा
खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन की अवैध कटाई जारी
नेवरी के जंगल में सैकड़ों सागौन के पेड़ों की अवैध कटाई हो चुकी है, और इन टूटे हुए पेड़ों के अवशेष अब भी जंगल में पड़े हैं। इसके बावजूद वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस पर चुप्प हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एक बड़ा वन तस्कर गिरोह इस क्षेत्र में सक्रिय है, जो वन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से इन जंगलों को खत्म करने में लगा हुआ है। यदि यही हालात रहे, तो इस आदिवासी क्षेत्र का आच्छादित वन समाप्त हो सकता है। खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन पेड़ों की अवैध कटाई और वन तस्करी का बढ़ता खतरा
वन सुरक्षा समितियां बनीं कागजी
राज्य सरकार ने वनों की सुरक्षा और पर्यावरण जागरूकता के लिए गांव-गांव में वन सुरक्षा समितियों का गठन किया है। लेकिन, यहां पर स्थिति पूरी तरह से विपरीत है। वन सुरक्षा समितियां केवल कागजों में बनी हुई हैं और इनकी वास्तविकता में कोई भूमिका नहीं है। इसके कारण वन तस्करों के लिए जंगलों में कानून की धज्जियां उड़ाना आसान हो गया है। ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने वनरक्षक और रेंजर को इस बारे में शिकायत भी की थी, लेकिन बिना किसी कार्रवाई के मामला जस का तस बना हुआ है। खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन पेड़ों की अवैध कटाई और वन तस्करी का बढ़ता खतरा
वन विभाग की नाकामी
केंद्र और राज्य सरकार प्रतिवर्ष वनों के संरक्षण और संवर्धन के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन वन विभाग इस प्रयास में नाकाम साबित हो रहा है। यदि जल्द ही इस पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। खोड़री वन परिक्षेत्र में सागौन पेड़ों की अवैध कटाई और वन तस्करी का बढ़ता खतरा