
भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट, कमिश्नर ने दी नोटिस की चेतावनी
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रायपुर: भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट, भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत हुए करोड़ों के मुआवजा घोटाले में जिम्मेदार अधिकारियों पर शिकंजा कसने की कोशिश धीमी पड़ गई है। मामले की जांच के लिए बनाई गई चार टीमों ने डेढ़ महीने बाद भी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है, जबकि उन्हें यह काम एक महीने में पूरा करना था। जांच में हो रही इस सुस्ती से संभागायुक्त बेहद नाराज हैं और अब उन्होंने जांच करने वाले अधिकारियों को ही नोटिस जारी करने की तैयारी कर ली है।
डेढ़ महीना बीता, रिपोर्ट का अता-पता नहीं
भारतमाला प्रोजेक्ट में हुए मुआवजा फर्जीवाड़े को लेकर दावा-आपत्तियों के बाद संभागायुक्त ने 15 जून 2025 को जांच के लिए चार अलग-अलग टीमें बनाई थीं। इन टीमों में अपर कलेक्टर से लेकर तहसीलदार स्तर के अधिकारियों को शामिल किया गया था। उन्हें 15 जुलाई 2025 तक, यानी एक महीने के भीतर, अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी। लेकिन अब डेढ़ महीना बीत चुका है और एक भी टीम ने अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की है।भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट
अब जांच करने वालों पर ही होगी कार्रवाई
जांच रिपोर्ट में हो रही देरी से नाराज संभागायुक्त ने अब सख्त रुख अपना लिया है। उन्होंने जांच टीमों में शामिल अधिकारियों को नोटिस जारी कर यह पूछने का फैसला किया है कि तय समय में रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई। यदि अधिकारियों का जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट
जिम्मेदारों की सूची बनाने में सुस्ती
इन जांच टीमों का मुख्य काम यह पता लगाना था कि घोटाले के समय भारतमाला प्रोजेक्ट में कौन-कौन से एसडीएम, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (आरआई) और पटवारी तैनात थे। टीमों को इन सभी की सूची बनाने और उनके द्वारा किए गए कार्यों का ब्योरा तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी, ताकि घोटाले के असली गुनहगारों को पकड़ा जा सके। लेकिन इसी अहम काम में सुस्ती बरती जा रही है।भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट
क्या रसूखदारों के दबाव में ठंडे बस्ते में जांच?
सूत्रों के अनुसार, जांच में हो रही देरी के पीछे रसूखदारों का दबाव एक बड़ी वजह हो सकती है। बताया जा रहा है कि घोटाले में जिन अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं, उन्होंने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर जांच को धीमा करवाना शुरू कर दिया है। चूंकि शासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही होगी, इसलिए रिपोर्ट को जानबूझकर लटकाया जा रहा है, ताकि मामला ठंडे बस्ते में चला जाए।भारतमाला मुआवजा घोटाला: जांच की डेडलाइन खत्म, एक भी अफसर ने नहीं दी रिपोर्ट
इन पर है जांच की जिम्मेदारी: जांच के लिए अपर कलेक्टर ज्योति सिंह, उमाशंकर बंदे, निधि साहू, और इंदिरा देवहारी की अध्यक्षता में चार टीमें बनाई गई हैं, जिनमें डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार भी शामिल हैं।









