कैसे एक किसान बना ट्रेन का मालिक?
भारत में एक ऐसा शख्स है, जो किसी बड़े उद्योगपति या अधिकारी नहीं, बल्कि एक मामूली किसान है, लेकिन उसकी संपत्ति में एक पूरी ट्रेन शामिल हो गई थी। यह कहानी पंजाब के लुधियाना के कटाणा गांव के किसान संपूर्ण सिंह की है, जो रेलवे की गलती से स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन के मालिक बन गए थे।भारत का इकलौता ट्रेन मालिक: मामूली किसान की अनोखी कहानी
रेलवे की जमीन अधिग्रहण में मुआवजा विवाद
मामला 2007 का है, जब लुधियाना-चंडीगढ़ रेल लाइन के निर्माण के लिए रेलवे ने संपूर्ण सिंह की जमीन अधिग्रहित की थी। उस समय उन्हें 25 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया गया था। कुछ समय बाद संपूर्ण सिंह को पता चला कि रेलवे ने पास के गांव में उतनी ही जमीन के लिए 71 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया है। इस दोहरे मापदंड के खिलाफ उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।भारत का इकलौता ट्रेन मालिक: मामूली किसान की अनोखी कहानी
कोर्ट का फैसला: मुआवजा बढ़ा, लेकिन भुगतान नहीं
कोर्ट ने रेलवे को संपूर्ण सिंह को 1.47 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। लेकिन रेलवे ने सिर्फ 42 लाख रुपये का भुगतान किया और बाकी 1.05 करोड़ रुपये नहीं दिए। इस पर 2017 में कोर्ट ने आदेश दिया कि लुधियाना स्टेशन पर ट्रेन और स्टेशन मास्टर के ऑफिस को कुर्क किया जाए।भारत का इकलौता ट्रेन मालिक: मामूली किसान की अनोखी कहानी
ट्रेन की कुर्की: संपूर्ण सिंह बने ट्रेन के मालिक
कोर्ट के आदेश के बाद, संपूर्ण सिंह लुधियाना स्टेशन पहुंचे और अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन को कुर्क कर लिया। इस तरह, वह भारत के इकलौते शख्स बन गए, जो एक पूरी ट्रेन के मालिक थे। हालांकि, कुछ समय बाद ट्रेन को कोर्ट के अधिकारी के माध्यम से मुक्त करवा लिया गया।भारत का इकलौता ट्रेन मालिक: मामूली किसान की अनोखी कहानी
वर्तमान स्थिति: मामला अभी भी कोर्ट में लंबित
संपूर्ण सिंह की यह अनोखी कहानी अभी भी कानूनी विवाद में उलझी हुई है। यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन यह घटना भारतीय रेलवे के इतिहास में एक अनोखा उदाहरण बन चुकी है।भारत का इकलौता ट्रेन मालिक: मामूली किसान की अनोखी कहानी