इसरो का 100वां लॉन्च: एक ऐतिहासिक उपलब्धि
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 29 जनवरी को सुबह GSLV-F15 रॉकेट से NVS-02 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर एक नया इतिहास रच दिया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से किया गया, जो कि इसरो का 100वां मिशन था। इसरो ने रचा इतिहास: 100वां सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में नया आयाम
NavIC सिस्टम का अहम हिस्सा है NVS-02
NVS-02 सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम (NavIC) का हिस्सा है, जो देश और आसपास के 1500 किमी क्षेत्र में उच्च सटीकता वाली पोजिशनिंग और टाइमिंग सेवाएं प्रदान करेगा। इस सिस्टम में दो तरह की सेवाएं शामिल हैं:
✔ स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सर्विस (SPS) – आम नागरिकों के लिए
✔ रेस्ट्रिक्टेड सर्विस (RS) – रक्षा एवं रणनीतिक उपयोग के लिए
ISRO की तकनीकी क्षमताओं में बड़ा विस्तार
इस लॉन्च के साथ, इसरो ने 2025 में अपने पहले स्पेस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया।
ISRO अब तमिलनाडु के कुलसेकापट्टी में नया लॉन्च पैड तैयार कर रहा है, जिससे छोटे सैटेलाइट मिशन में आसानी होगी।
इससे ईंधन की बचत होगी और सैटेलाइट को सीधा दक्षिण दिशा में भेजा जा सकेगा। इसरो ने रचा इतिहास: 100वां सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में नया आयाम
1979 से अब तक 100 लॉन्च पूरे
इसरो का पहला लॉन्च 10 अगस्त 1979 को हुआ था, जब SLV-E-01 रॉकेट से रोहिणी टेक्नोलॉजी पेलोड को भेजा गया था।
अब तक इसरो ने 99 अन्य सफल लॉन्च किए हैं, जिनमें से 62 PSLV रॉकेट से हुए हैं। इसरो ने रचा इतिहास: 100वां सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में नया आयाम
इसरो के 100वें मिशन के बाद क्या?
इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन पर तेजी से काम कर रहे हैं।
2025 में कई अन्य महत्वपूर्ण सैटेलाइट और गगनयान मिशन की भी योजना बनाई गई है। इसरो ने रचा इतिहास: 100वां सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी में नया आयाम