झा. पाटन : पचास लाख का भूखंड, पंद्रह लाख रिश्वत, पांच लाख में बेचा जांच में उपनिदेशक को बारह सौ वर्ग भूमि के भूखंड को बता दिया खांचा भूमि
बाल काटने से मुर्दों का वजन कम नहीं होता
NCG News desk Rajsthan:-
झालरापाटन । किसी ने सच ही कहा है कि मुर्दे के बाल काटने से मुर्दे का वजन कम नहीं होता। नगरपालिका चेयरमैन पति व अधिशासी अधिकारी सारी जनता के सामने पाप छुपाने के लिए ऐसा ही कर रहे हैं। सुभाष नगर के जिस कार्नर का बारह सौ पांच वर्ग फिट स्वतंत्र भूखण्ड को जो नीलामी प्रकिया द्वारा बेचान किया जाता तो पचास लाख रुपए की सरकार को राजस्व प्राप्त होता। लेकिन पैसे खनखनाहट में इतने बावले हो गये है उस भूखण्ड को मात्र पांच लाख में स्ट्रिप आफ लैंड में दे दिया जब मामला उजागर हुआ जांच आई तो उक्त स्वतंत्र भूखण्ड को खांचा भूमि बता कर उपनिदेशक कोटा को गुमराह करने का प्रयास किया। मामला उजागर होकर चोर की चोरी भी पकड़ी गई हालांकि विभागीय कार्रवाई में तो कुछ होगा नहीं जब एसीबी जांच करेगी तो सब सच निकल कर सामने आ जायेगा।
मामला एसीबी में दर्ज हो उसके पूर्व किसी अज्ञात ने राजस्थान सम्पर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा दी जिसके जवाब में अधिशासी अधिकारी ने रास्ता निकाल कर अपने कृत्य छुपाते हुए उपनिदेशक स्थानीय निकाय कोटा को जवाब देते हुए कहा कि उक्त भूमि खांचा भूमि है इसलिए देना उचित है। शायद इस जवाब पर स्वयं उपनिदेशक मौका देखें तो ईओ और चैयरमैन पर कार्यवाही करने में देर नहीं लगायेंगे। खैर अब ना तो शांतिधारीवाल है ना ही प्रमोद जैन भाया, वसुंधरा राजे ने स्पष्ट रुप से कई लोगों के सामने जेल जाने की बात कहकर समझाने की कोशिश की है। लेकिन चेयरमेनपति को पैसे कमाने का भूत सवार है। शायद अधिशासी अधिकारी को यह पता नहीं नहीं खांचा भूमि किसे कहते हैं। स्वतंत्र भूखण्ड जिसकी साइज बारह सौ वर्ग फीट है जो किसी दबे हुए स्थान पर नहीं होकर कार्नर भूखण्ड है जिसकी नीलामी होनी थी उसे बाले बाले ही चुपचाप बिक्री कर मोटा माल कमाया।
सूत्रो के अनुसार पूर्व पालिकाध्यक्ष अनिल पोरवाल को भी भूखण्ड के पास वाले पड़ोसी ने पंद्रह लाख का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने मामले को फंसता देख इनकार कर दिया था। नया बोर्ड का गठन हुआ, पैसे की जरूरत सभी को होती है कोई सब्र कर लेता है किसी को ज्यादा होती है। इन्हें भी है लेकिन जब पेंच फंसता है तो सत्ता का नशा उतरने में ज्यादा समय नहीं लगता है अपने ही अधिकारी से झूठ बोलना महंगा साबित हो सकता है। क्योंकि जवाब में तो खांचा भूमि तो बता दी लेकिन स्ट्रिप आफ लैंड की फाईल में तो कहीं भी खांचा भूमि शब्द का जिक्र नहीं है। खैर मामला एसीबी में दर्ज होने की तैयारी में है एसीबी बाल की खाल निकालने में माहिर हैं।
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