मथुरा में खाकी का बर्बर चेहरा: रिश्वत की शिकायत करने पर SI ने युवक को चौकी में बंद कर बेरहमी से पीटा

मथुरा: रिश्वत की शिकायत करने पर SI ने युवक को चौकी में बंद कर बेरहमी से पीटा, उत्तर प्रदेश के मथुरा से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पुलिस व्यवस्था और मानवाधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक गरीब किसान के बेटे को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटा गया क्योंकि उसने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल पर पुलिस की रिश्वतखोरी के खिलाफ शिकायत करने की हिम्मत की थी। यह मामला गोवर्धन थाना क्षेत्र का है, जहां एक सब-इंस्पेक्टर पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगे हैं।
शिकायत का बदला या क्रूरता की हद?
पीड़ित परिवार के आरोपों के अनुसार, गोवर्धन थाने में तैनात सब-इंस्पेक्टर (SI) कपिल नागर ने शिकायतकर्ता युवक को बातचीत के बहाने थाने बुलाया। वहां उसे एक चौकी में बंद कर दिया गया और फिर शुरू हुआ क्रूरता का नंगा नाच। आरोप है कि SI ने न केवल युवक को भद्दी-भद्दी गालियां दीं, बल्कि उसके अंडकोष पर लातें मारीं और उसे तब तक पीटा जब तक वह अधमरा नहीं हो गया। इस पूरी घटना का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें युवक की दिल दहला देने वाली चीखें साफ सुनी जा सकती हैं, जो पुलिस की बर्बरता की कहानी बयां कर रही हैं।रिश्वत की शिकायत करने पर SI ने युवक को चौकी में बंद कर बेरहमी से पीटा
इंसाफ की गुहार और सिसकता परिवार
इस बर्बर पिटाई के बाद युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। परिवार का कहना है कि जब उन्होंने थाने में मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों से न्याय की गुहार लगाई, तो किसी ने उनकी मदद नहीं की और सब मूकदर्शक बने रहे। अब यह गरीब परिवार अपने बेटे के लिए इंसाफ की मांग करते हुए दर-दर भटक रहा है।रिश्वत की शिकायत करने पर SI ने युवक को चौकी में बंद कर बेरहमी से पीटा
व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल: क्या सुरक्षित हैं शिकायतकर्ता?
यह घटना सिर्फ एक पुलिसकर्मी की क्रूरता का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरी व्यवस्था पर एक तमाचा है। इसने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या मुख्यमंत्री द्वारा स्थापित जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत करना अब अपराध बन गया है?
अगर शिकायत करने वाले को ही पुलिस इस तरह प्रताड़ित करेगी, तो आम नागरिक न्याय के लिए कहां जाएगा?
जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो जनता का भरोसा किस पर कायम रहेगा?
स्थानीय लोगों और मानवाधिकार संगठनों में इस घटना को लेकर भारी गुस्सा है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, ताकि दोषी पुलिसकर्मी को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके और भविष्य में कोई अधिकारी इस तरह की हिम्मत न कर सके। फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह मामला इस गंभीर सवाल को जन्म देता है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?रिश्वत की शिकायत करने पर SI ने युवक को चौकी में बंद कर बेरहमी से पीटा









