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छत्तीसगढ़ की अदालतों में 5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग, जजों की कमी और ये हैं बड़ी वजहें

छत्तीसगढ़ की अदालतों में 5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग, जजों की कमी और ये हैं बड़ी वजहें

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मुख्य बिंदु:

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और जिला अदालतों में लंबित मामलों का अंबार, संख्या 5 लाख के पार।

  • जजों की कमी, गवाहों का पेश न होना और बार-बार स्थगन हैं प्रमुख कारण।

  • चीफ जस्टिस की पहल पर निपटारे में तेजी, पर जिला अदालतों की रफ्तार हुई धीमी।

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की अदालतों में 5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग, छत्तीसगढ़ की न्यायपालिका मुकदमों के भारी बोझ से जूझ रही है। राज्य के हाईकोर्ट से लेकर जिला अदालतों तक लंबित मामलों की कुल संख्या 5 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। इसके पीछे जजों की कमी से लेकर गवाहों की अनुपस्थिति और बार-बार मिलने वाले स्थगन जैसे कई कारण सामने आए हैं।

आंकड़ों में अदालतों का हाल
नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (NJDG) और हाईकोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, स्थिति चिंताजनक है:

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट: जून 2024 तक यहां 81,935 मामले लंबित हैं, जिनमें 55,024 सिविल और 26,911 क्रिमिनल केस शामिल हैं।

  • जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय: प्रदेश भर की निचली अदालतों में 4,25,464 मामले पेंडिंग हैं। इनमें 3,44,887 आपराधिक और 80,677 सिविल मामले हैं।

  • प्रमुख जिलों पर बोझ: रायपुर जिले की अदालतों में सर्वाधिक 93,952 मामले लंबित हैं, जबकि बिलासपुर में यह आंकड़ा 55,427 है।

क्यों बढ़ रही है पेंडेंसी?
अदालतों में मामले लंबित रहने के कई कारण हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं:

  • जजों की कमी: हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस समेत 22 जजों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 16 जज ही कार्यरत हैं। यही हाल जिला न्यायालयों का भी है।

  • सुनवाई में देरी: गवाहों का समय पर कोर्ट न पहुंचना, आरोपियों का फरार हो जाना और वकीलों की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई बार-बार टलती है।

  • प्रक्रियात्मक देरी: समय पर चालान पेश न होना, जरूरी दस्तावेजों का उपलब्ध न होना और कई बार पक्षकारों द्वारा ही केस में रुचि न लेना भी देरी की वजह बनता है।

निपटारे की रफ्तार: हाईकोर्ट तेज, जिला अदालतें सुस्त
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के मार्गदर्शन में केस निपटारे की दर में सुधार हुआ है।छत्तीसगढ़ की अदालतों में 5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

  • हाईकोर्ट: साल 2024 में हाईकोर्ट ने 112.85% की दर से मामलों का निपटारा किया, जो 2023 (102.85%) से बेहतर है। इस साल 46,192 नए केस आए, जबकि 52,127 केस निपटाए गए।

  • जिला न्यायालय: वहीं, जिला अदालतों की निपटारा दर 2023 में 110.11% थी, जो 2024 में घटकर 99.35% रह गई। यहां पिछले साल 4,38,604 नए केस आए और 4,35,742 मामले ही निपटे।

पेंडेंसी घटाने के लिए उठाए जा रहे कदम
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की नियुक्ति के बाद से ही पेंडेंसी कम करने पर जोर दिया जा रहा है।छत्तीसगढ़ की अदालतों में 5 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

  • नई गाइडलाइन: निचली अदालतों के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें जमानत अर्जियों पर एक हफ्ते में फैसला देने और सालों पुराने मामलों के निपटारे के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश हैं।

  • पुराने मामलों की छंटनी: ऐसे पुराने और औचित्यहीन मामलों को चिन्हित कर खत्म किया जा रहा है, जिनकी प्रासंगिकता अब नहीं रह गई है।

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