दिल्लीव्यापार

हेल्थ इंश्योरेंस पर बड़ा संकट: अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा

इलाज की दरें बढ़ाने से इनकार और IRDAI के 'कॉमन इंपैनलमेंट' प्रस्ताव पर छिड़ा विवाद। बजाज एलायंज के ग्राहकों को पहले बिल चुकाकर बाद में क्लेम करना होगा।

नई दिल्ली। हेल्थ इंश्योरेंस पर बड़ा संकट: अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा, देश में लाखों स्वास्थ्य बीमा धारकों के लिए एक बड़ी और चिंताजनक खबर सामने आ रही है। निजी अस्पतालों और स्वास्थ्य बीमा कंपनियों के बीच इलाज की दरों को लेकर छिड़ी जंग अब खुलकर सामने आ गई है, जिसका सीधा असर आम मरीजों की जेब पर पड़ने वाला है। देश के लगभग 15,000 बड़े निजी अस्पतालों ने 1 सितंबर से बजाज एलायंज (Bajaj Allianz) के पॉलिसीधारकों को कैशलेस इलाज की सुविधा देना बंद करने का फैसला किया है।

WhatsApp Group Join Now
Facebook Page Follow Now
YouTube Channel Subscribe Now
Telegram Group Follow Now
Instagram Follow Now
Dailyhunt Join Now
Google News Follow Us!

एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI), जिसमें मैक्स हेल्थकेयर और मेदांता जैसे बड़े अस्पताल समूह शामिल हैं, ने यह कड़ा कदम उठाया है। अगर यह विवाद नहीं सुलझता है, तो जल्द ही अन्य बीमा कंपनियों के ग्राहकों को भी इसी तरह की मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा

मरीजों पर क्या होगा असर?

इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि मरीजों का इलाज नहीं होगा। इलाज पहले की तरह ही जारी रहेगा, लेकिन अब उन्हें कैशलेस सुविधा नहीं मिलेगी। यानी, बजाज एलायंज के पॉलिसीधारकों को अस्पताल में भर्ती होने पर इलाज का पूरा बिल अपनी जेब से चुकाना होगा। बाद में वे उन बिलों को बीमा कंपनी के पास जमा करके रीइम्बर्समेंट (खर्च की गई राशि का क्लेम) के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में समय लग सकता है और यह उन लोगों के लिए एक बड़ी वित्तीय चुनौती होगी जो तत्काल बड़े भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा

क्यों छिड़ी है यह जंग? विवाद की मुख्य वजहें

अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच यह तकरार कई सालों से चल रही है, लेकिन अब यह चरम पर पहुंच गई है। इसके दो मुख्य कारण हैं:

  1. इलाज की दरों का विवाद: अस्पतालों का आरोप है कि बजाज एलायंज जैसी बीमा कंपनियां पुराने कॉन्ट्रैक्ट की दरों को बढ़ाने से इनकार कर रही हैं। AHPI के अनुसार, भारत में मेडिकल महंगाई दर (इलाज का खर्च) सालाना लगभग 7-8% बढ़ रही है। ऐसे में पुरानी दरों पर उच्च गुणवत्ता वाला इलाज देना संभव नहीं है। अस्पतालों का यह भी आरोप है कि बीमा कंपनियां अक्सर बिना किसी ठोस कारण या चर्चा के बिल की रकम में कटौती कर देती हैं।

  2. ‘कॉमन इंपैनलमेंट’ पर रार: बीमा नियामक इरडा (IRDAI) ने कैशलेस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ‘कॉमन इंपैनलमेंट’ का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य एक ऐसा साझा प्लेटफॉर्म बनाना है, जहां सभी बीमा कंपनियों के लिए अस्पताल सूचीबद्ध हों। लेकिन इस प्रस्ताव पर भी अस्पताल और बीमा कंपनियां आमने-सामने हैं।

क्या है ‘कॉमन इंपैनलमेंट’ और इस पर क्यों है विवाद?

‘कॉमन इंपैनलमेंट’ एक ऐसा सिस्टम है जिसके तहत मरीज किसी भी बीमा कंपनी की पॉलिसी होने पर पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में आसानी से कैशलेस इलाज करा सकेगा।

इसके फायदे:

  • मरीजों को अधिक अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।

  • बीमा कंपनी बदलने पर भी इलाज में आसानी होगी।

  • अस्पतालों की गुणवत्ता के लिए मानक तय होंगे।

  • क्लेम रिजेक्शन की संख्या में कमी आने की उम्मीद है।

अस्पताल क्यों हैं चिंतित?
बड़े निजी अस्पतालों का कहना है कि इस प्रस्ताव का मसौदा उनसे ठीक से सलाह लिए बिना तैयार किया गया है और यह पूरी तरह से बीमा कंपनियों के पक्ष में है। उनकी मुख्य चिंताएं हैं:

  • अवास्तविक पैकेज रेट: इलाज के लिए तय की गईं दरें बढ़ती महंगाई के हिसाब से बहुत कम हैं।

  • भुगतान की शर्तें: पेमेंट की शर्तें और नियम अस्पतालों के लिए व्यावहारिक नहीं हैं।

  • गुणवत्ता से समझौता: कम दरों पर इलाज देने से खर्च में कटौती करनी पड़ेगी, जिसका असर इलाज की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।

हालांकि, छोटे अस्पताल इस प्रस्ताव के पक्ष में हैं क्योंकि इससे उन्हें अधिक मरीजों तक पहुंचने का मौका मिलेगा। वहीं, बड़े अस्पताल अपनी उच्च परिचालन लागत के कारण मानकीकृत मूल्य निर्धारण से चिंतित हैं।अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा

आगे क्या होगा?

AHPI ने साफ कर दिया है कि अगर 31 अगस्त तक केयर हेल्थ इंश्योरेंस (Care Health Insurance) के साथ भी दर का विवाद नहीं सुलझता, तो उनके ग्राहकों के लिए भी कैशलेस सुविधा बंद कर दी जाएगी। यह विवाद अब लाखों पॉलिसीधारकों के लिए एक बड़ी अनिश्चितता बन गया है, जो प्रीमियम तो समय पर भरते हैं, लेकिन जरूरत के समय कैशलेस इलाज जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हो सकते हैं।अस्पतालों और बीमा कंपनियों की जंग में फंसे लाखों मरीज, 1 सितंबर से बंद होगी कैशलेस सुविधा

Related Articles

WP Radio
WP Radio
OFFLINE LIVE
सैकड़ो वर्षो से पहाड़ की चोटी पर दिका मंदिर,51 शक्ति पीठो में है एक,जानिए डिटेल्स शार्ट सर्किट की वजह से फर्नीचर कंपनी के गोदाम में लगी आग महेश नवमी का माहेश्वरी समाज से क्या है संबंध? भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर टी20 वर्ल्ड कप से कर सकता है बाहर बिना कुछ पहने सड़को पर निकल गई उर्फी जावेद , देखकर बोले फैंस ये क्या छत्तीसगढ़ पुलिस कांस्टेबल शारीरिक दक्षता परीक्षा की तारीख घोषित, जानें पूरी डिटेल एक जुलाई से बदलने वाला है IPC, जाने क्या होने जा रहे है बदलाव WhatsApp या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नहीं दिया जा सकता धारा 41ए CrPC/धारा 35 BNSS नोटिस The 12 Best Superfoods for Older Adults Mother died with newborn case : महिला डॉक्टर समेत 2 नर्सों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज