🐃 पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़: पत्रकार की सतर्कता से उजागर हुआ बड़ा घोटाला
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम), छत्तीसगढ़ – जिले में अवैध पशु व्यापार का एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां पत्रकार कृष्णा पाण्डेय की सतर्कता ने न सिर्फ 150 से ज्यादा भैंसों की फर्जी तस्करी का खुलासा किया, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
📍 150 से ज्यादा भैंसे, बिना वैध दस्तावेज
10 जनवरी की रात सोनकुंड बाजार के पास बड़ी संख्या में भैंसों को देखा गया। पत्रकार कृष्णा पाण्डेय मौके पर पहुंचे और जब व्यापारियों से पशु परिवहन दस्तावेज और खरीदी-विक्रय लाइसेंस मांगा, तो ज़्यादातर के पास कोई वैध कागज़ नहीं मिले।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
👮 पुलिस को दी गई सूचना, मौके पर हुई कार्रवाई
पत्रकार ने तुरंत थाना पेंड्रा के टीआई बंजारे को सूचित किया, जिन्होंने एसआई साहू और एएसआई रजक को मौके पर भेजा। मौके पर जांच में पाया गया कि अधिकांश भैंसे गैर-कानूनी तरीके से लाए गए थे। पुलिस ने पशु मालिकों की जानकारी दर्ज की और सुबह थाने बुलाने का निर्देश दिया।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
🌙 रात की सख्ती, सुबह की ढील: भैंसों को दी गई रिहाई
हालांकि रातभर कार्रवाई की उम्मीद थी, लेकिन सुबह 4 बजे बिना पूरी वैधता जांचे सभी भैंसों को बाजार में छोड़ने की अनुमति दे दी गई। इस पर पत्रकार ने आपत्ति जताई, लेकिन पुलिस का जवाब था कि 70 भैंसों के लिए दस्तावेज थे, जबकि संख्या 100 से ज्यादा थी।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
⚠️ पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल, भ्रष्टाचार की आशंका
पत्रकार कृष्णा पाण्डेय ने टीआई बंजारे की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह पशुपालन नहीं, व्यापार का मामला है, फिर भी बिना ट्रेडिंग लाइसेंस के भैंसों को छोड़ा गया। ये सरकारी नियमों और कानूनों की अवहेलना है।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
📜 कानूनी अनदेखी: नियमों की खुली उड़ाई गई धज्जियां
भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा पशु व्यापार के लिए वेटरनरी सर्टिफिकेट, ट्रांसपोर्ट परमिट और लाइसेंस जरूरी होते हैं। इस मामले में इन सभी नियमों की पूर्ण रूप से अनदेखी की गई।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
🧭 अब सवाल जनता से: क्या चुप बैठना सही है?
क्या पेंड्रा पुलिस ने व्यापारियों से सांठगांठ की है? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या मामला दबा दिया जाएगा? क्या हम पत्रकारों और नागरिकों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि ऐसे भ्रष्टाचार का विरोध करें?पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़
यह घटना दिखाती है कि जागरूक पत्रकारिता ही भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकती है। अगर जनता अब भी नहीं जागी, तो ऐसे अवैध पशु व्यापार और प्रशासनिक मिलीभगत के मामले आम होते चले जाएंगे।पेंड्रा में फर्जी भैंसा कारोबार का भंडाफोड़