छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान दिलाने में जुटा एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन
रायपुर: छत्तीसगढ़ी भाषा को उसकी उचित पहचान और सम्मान दिलाने के लिए एम ए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन लगातार प्रयासरत है। प्रदेश अध्यक्ष ऋतुराज साहू के नेतृत्व में यह संगठन राज्य की राजभाषा छत्तीसगढ़ी को पूर्ण रूप से लागू कराने के लिए सड़क से लेकर सदन तक लड़ाई लड़ रहा है।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .
छत्तीसगढ़ी भाषा के मुद्दे
संगठन छत्तीसगढ़ी भाषा को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने, सरकारी कार्यों में उपयोग करने और इसे भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए कार्यरत है। ऋतुराज साहू ने बताया कि छत्तीसगढ़ी को 2007 में राजभाषा का दर्जा मिल चुका है, लेकिन इसे अभी तक वह सम्मान नहीं मिल पाया है जिसका यह हकदार है।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .
राजभाषा का दर्जा और आठवीं अनुसूची
ऋतुराज साहू ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी को स्कूली शिक्षा और राजकाज में शामिल करने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। संगठन की उपाध्यक्ष पूजा परघनिया ने कहा कि छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों से मुलाकात की है।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .
युवा डिग्रीधारियों की मांग
छत्तीसगढ़ी डिग्रीधारी लोकेश सेन ने सवाल उठाया कि प्रदेश के दस सांसदों द्वारा संसद में छत्तीसगढ़ी भाषा के मुद्दे को क्यों नहीं उठाया जा रहा है। डिग्रीधारी छात्र ओमप्रकाश वर्मा ने सरकार से छत्तीसगढ़ी को रोजी रोजगार से जोड़ने और सभी डिग्रीधारियों को रोजगार देने की मांग की है।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .
जन जागरूकता और प्रचार अभियान
संगठन के सदस्य किरण देवांगन और हसीना मनहरे ने बताया कि वे जन जागरूकता, संदेश यात्रा, स्कूल, कॉलेज, हाट बाजार और गांव-मुहल्लों तक छत्तीसगढ़ी भाषा को प्रसारित करने और इसके महत्व को लोगों तक पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। इस संगठन में 2013 से अब तक कई डिग्रीधारी छात्र जुड़े हुए हैं जो छत्तीसगढ़ी भाषा को पूर्ण राजभाषा का सम्मान दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .
एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन के प्रयासों से यह उम्मीद की जा सकती है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को उसका सही सम्मान और पहचान जल्द ही मिलेगी।छत्तीसगढ़ी भाषा को विशेष पहचान .