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पुलिस ने 15 हजार करोड़ से ज्यादा के फर्जी जीएसटी फ्राड के मामले में दो अरबपति कारोबारियों अजय शर्मा और संजय जिंदल को गिरफ्तार किया है। दोनों ही इस फ्राड के मास्टमाइंड है। पुलिस के मुताबिक आरोपी संजय जिंदल मेसर्स ए एस ब्राउनी मैटल एंड एलॉय प्राइवेट लिमिटेड और अजय शर्मा मेसर्स क्रिस्टल मैटल इंडस्ट्रीज के मालिक हैं। अब तक इस जीएसटी फ्रॉड में कुल 32 गिरफ्तारी हुई है।
अभी तक की जांच में सामने आया कि संजय जिंदल मेसर्स ए एस ब्राउनी मैटल एंड एलॉय प्राइवेट लिमिटेड ने करीब 17 करोड़ रुपए और अजय शर्मा मेसर्स ए एस क्रिस्टल मेंटल इंडस्ट्री ने 8.5 करोड रुपए का आईटीसी का फ्रॉड किया है। इस संबंध में थाना सेक्टर 20 में एक मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसकी जांच के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है। हालांकि इस मामले में जीएसटी ने दोनों को पकड़ा है।
करोड़ों का किया फर्जीवाड़ा
डीसीपी क्राइम शक्ति अवस्थी ने बताया कि इस फ्राड में संजय जिंदल ने अपनी कंपनी की आड़ में करीब 20 फर्जी फर्म बनाई। वहीं अजय शर्मा ने छह फर्म बनाकर आईटीसी फ्राड किया। दोनों ने मिलकर करीब 26 करोड़ रुपए राजस्व का चूना लगाया। उन्होंने बताया कि ये दोनों अवैध तरीके से फर्जी जीएसटी फर्म तैयार करवाते थे और उन्ही फर्जी जीएसटी फर्मो से फर्जी इन्वॉयस कर अवैध लाभ कमाते थे। ये दोनों ही इस पूरे जीएसटी फ्राड मामले के मास्टर माइंड है। दरअसल ये दोनों ही असली बेनिफिशयरी थे, ये दोनों अरबपति भी है।
कुणाल मेहता ने पहले किया था सरेंडर
दरअसल 4 मार्च को जीएसटी फर्जीवाड़े में शामिल कुणाल मेहता ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। जिसके पास से अहम दस्तावेज बरामद हुए थे। पुलिस ने इस पर 25 हजार का इनाम भी रखा था। पुलिस ने 48 घंटे की रिमांड ली। जिसके बाद उसने पुलिस को कई ठिकानों की जानकारी दी और उसे दिल्ली समेत अन्य ठिकानों पर ले भी जाया गया। फर्जीवाड़े में शामिल कई अन्य आरोपियों के बारे में भी पुलिस को कुणाल से अहम जानकारी मिली थी। जिसके बाद पुलिस ने दोनों शातिर आरोपियों को गिरफ्तार किया।
पिछले साल हुआ था खुलासा
नोएडा कमिश्नरेट पुलिस ने बीते साल जून में करीब 3 हजार से अधिक फर्जी फर्म बनाकर 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इस मामले में नोएडा पुलिस ने 4 हजार करोड़ से ज्यादा का ITC फ्रीज कराया था।
कैसे करते थे घोटाला?
आरोपी और उनका गिरोह फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफन्ड कर ( इंटपुट टैक्स क्रेडिट) प्राप्त करता था। फर्जी दस्तावेज , आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेन्ट एग्रीमेन्ट, इलेक्ट्रीसिटी बिल आदि का उपयोग कर फर्जी फर्म जीएसटी नंबर सहित तैयार करते थे। यहीं नहीं स्वंय द्वारा ही फर्जी जीएसटी फर्म को खरीद कर फर्जी बिल का उपयोग कर जीएसटी रिफंड लेते थे।
3000 फर्जी कंपनी बनाकर घोटाला
गिरोह के जालसाजों ने देश के अलग-अलग हिस्से में 3000 फर्जी कंपनी बनाकर इन कंपनियों के नाम पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त कर करीब 15,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। यह कंपनियां सिर्फ कागजों में थी, धरातल पर इसका कोई अस्तित्व नहीं था। इस अपराध में शामिल आरोपियों के घरों की कुर्की की प्रक्रिया चल रही है। कई आरोपियों की संपत्ति को कुर्क भी किया जा चुका है।
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