NCG NEWS DESK Bastar:-
छत्तीसगढ़ में पहली बार धर्मान्तरण की लड़ाई में नक्सली कूद गए है। बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा तहसील के कस्तूर्पल गांव में नक्सलियों ने एक बैनर लगाकर नया फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ईसाई धर्म अपना चुके आदिवासियों को प्रताडित ना किया जाए। नक्सलियों ने अपने बैनर में इलाके के सरपंच को खास तौर पर आगाह किया गया है कि वह उन लोगों से माफी मांगे जिनको अपनी ही जमीन पर अपने परिजन का शव दफनाने से रोका गया। उनकी संपत्ति हड़पी गई, फसलों को जब्त किया गया।
बड़े स्तर पर हुआ धर्मान्तरण
बता दें कि, बस्तर में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण या कहे मतांतरण हुए हैं। भाजपा आरोप लगाती है कि यह सब प्रलोभन से हो रहा है जिसे कांग्रेस संरक्षण देतीस रही है। कांग्रेस कहती है कि सबसे ज्यादा गिरजाघर पुरानी भाजपा सरकार के कार्यकाल में बने। बीते विधानसभा और उसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में यह एक बड़ा मुद्दा था। यह कितना गंभीर मसला बन चुका है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों ईसाई धर्म अपना चुके व्यक्ति को अपने पिता का शव दफन करने के लिए हाईकोर्ट से आदेश लाने की जरूरत पड़ी। इस गंभीर समस्या से निपटने साय सरकार कठोर कानून लाने की तैयारी में भी है।
गौरतलब है कि, क्षेत्र में लगातार सुरक्षा बलों के एक्शन से नक्सलियों की कमर टूट गई है। लेकिन इलाके में अपनी मौजूदगी दिखाते रहने के लिए स्थानीय मुद्दों पर ऐसी चेतावनी जारी करते रहे हैं। हालांकि, हर बार ये गीदड़ भभकी साबित नहीं होती है, कई बार फरमान न मानने वालों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। ये पहली बार है कि बस्तर में धर्मांतरण के मुद्दे पर नक्सलियों का रुख पहली बार साफ-साफ सामने आया है।
तीन ग्रामीणों की हत्या का लगाया आरोप
उल्लेखनीय है कि, 24 मई को अबूझमाड़ के जंगल में जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। जवानों ने मुठभेड़ में 8 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था। अब नक्सलियों के इंद्रावती एरिया कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर मुठभेड़ को फर्जी बताया है। इसके अलावा उन्होंने जवानों पर तीन ग्रामीणों की हत्या का भी आरोप लगाया है।
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