9 जुलाई को ‘भारत बंद’! सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे मजदूर और किसान, देशव्यापी हड़ताल का ऐलान
9 जुलाई को ‘भारत बंद’! सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे मजदूर और किसान, केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों और श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ देश के 20 करोड़ से ज्यादा मजदूर 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के निर्माण मजदूर भी इस आंदोलन में बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
9 जुलाई को ‘भारत बंद’! सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे मजदूर और किसान, देश भर में केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों के खिलाफ मजदूरों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसी के चलते 9 जुलाई को एक विशाल देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया गया है, जिसमें मजदूर संगठनों के साथ-साथ किसान भी शामिल होंगे। छत्तीसगढ़ में राजमिस्त्री मजदूर रेजा कुली एकता यूनियन ने भी इस हड़ताल में शामिल होने की घोषणा करते हुए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्यों हो रही है यह देशव्यापी हड़ताल?
मजदूर नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार की नीतियां पूरी तरह से श्रमिक विरोधी और कॉर्पोरेट-परस्त हैं। उनके गुस्से के मुख्य कारण हैं:
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नए श्रम कानून (Labour Codes): पुराने श्रम कानूनों को खत्म करके बनाए गए चार नए श्रम संहिता (Labour Codes) को मजदूर संगठन अपने अधिकारों पर हमला मानते हैं। उनका कहना है कि ये कानून मालिकों और ठेकेदारों के मुनाफे को सुनिश्चित करने और मजदूरों के शोषण को बढ़ाने के लिए लाए गए हैं।
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कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने का आरोप: नेताओं का कहना है कि “मोदी सरकार केवल अपने कुछ कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचा रही है,” जबकि देश के आम मजदूर, किसान और अन्य वर्गों की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।
निर्माण मजदूरों के साथ ‘छलावा’? योजनाओं पर कैंची, अधिकारों पर हमला
छत्तीसगढ़ के निर्माण मजदूरों ने सरकार पर सीधे-सीधे ‘छलावा’ करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है:
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योजनाओं में कटौती: निर्माण मजदूरों के कल्याण के लिए बनाई गई योजनाओं की राशि में लगातार कटौती की जा रही है, जिससे उनके हितों पर कुठाराघात हो रहा है।
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यूनियनों को कमजोर करने की साजिश: आरोप है कि मजदूर यूनियनों को कमजोर करने के लिए पंजीकरण के नियमों में ढील दी जा रही है। इससे गैर-मजदूर भी राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, जबकि असली हकदार मजदूर अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में ‘भ्रष्टाचार का अड्डा’ बने श्रम कार्यालय?
मजदूर नेताओं ने छत्तीसगढ़ के श्रम कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार पर भी गंभीर चिंता जताई है।
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पंजीयन में बड़ा घोटाला: रायगढ़, चांपा, दुर्ग, रायपुर, बालोद और कोरबा जैसे जिलों में मजदूरों के ऑनलाइन आवेदनों को बिना किसी ठोस कारण के मनमाने ढंग से खारिज किया जा रहा है।
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रिश्वतखोरी का आरोप: नेताओं ने कहा कि श्रम कार्यालय “भ्रष्टाचार का केंद्र” बन गए हैं, जहां मजदूरों को पंजीकरण से लेकर योजनाओं का लाभ लेने तक के लिए कर्मचारियों की “जेब गरम” करनी पड़ती है।
इन्हीं सब मुद्दों के खिलाफ और “डबल इंजन सरकार” की मजदूर विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए छत्तीसगढ़ के निर्माण मजदूर 9 जुलाई को देशव्यापी हड़ताल का हिस्सा बनेंगे और सड़कों पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे।9 जुलाई को ‘भारत बंद’! सरकार की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे मजदूर और किसान