PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम! संघ ने कहा- ’75 में कोई नियम नहीं’, मिशन बंगाल का भी किया ऐलान
विपक्षी दावों को किया खारिज, संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर दी सफाई, 2029 तक नेतृत्व पर जताया भरोसा।

नई दिल्ली। PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम! संघ ने कहा- ’75 में कोई नियम नहीं’, मिशन बंगाल का भी किया ऐलान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन से ठीक पहले उनकी सेवानिवृत्ति को लेकर चल रही राजनीतिक अटकलों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विराम लगा दिया है। संघ ने स्पष्ट किया है कि उनके संगठन में 75 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का कोई अनिवार्य नियम नहीं है। यह बयान उन सभी चर्चाओं को खारिज करता है, जो विपक्षी दल RSS प्रमुख मोहन भागवत के एक हालिया बयान के आधार पर कर रहे थे।
75 की उम्र में रिटायरमेंट का कोई नियम नहीं
दरअसल, हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नेताओं को 75 की उम्र में पद छोड़कर नई पीढ़ी को मौका देना चाहिए। इस बयान के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत जैसे कई विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी के रिटायरमेंट की अटकलें तेज कर दी थीं। PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम!
अब RSS के वरिष्ठ सूत्रों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि भागवत के बयान को संदर्भ से बाहर पेश किया गया। उन्होंने कहा, “हर संगठन को अपने नियमों के अनुसार काम करना चाहिए।” संघ ने साफ किया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर उन्हें पूरा भरोसा है और जैसा कि गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं, वह 2029 तक देश का नेतृत्व करते रहेंगे। PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम!
RSS का ‘मिशन बंगाल’: शताब्दी वर्ष में विस्तार पर जोर
नेतृत्व पर स्थिति स्पष्ट करने के साथ ही संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के लिए अपनी विस्तार योजनाओं का भी खुलासा किया, जिसमें पश्चिम बंगाल एक प्रमुख केंद्र है। PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम!
लक्ष्य: RSS का लक्ष्य अक्टूबर तक देशभर में एक लाख शाखाएं स्थापित करना है।
बंगाल पर फोकस: इनमें से 2,018 शाखाएं अकेले पश्चिम बंगाल में होंगी।
चुनौतियां: संघ ने बंगाल को एक “प्राथमिकता वाला” लेकिन “चुनौतीपूर्ण” राज्य माना है। RSS का आरोप है कि ममता बनर्जी सरकार राजनीतिक हिंसा को रोकने में विफल रही है और अक्सर मोहन भागवत के कार्यक्रमों की अनुमति देने में आनाकानी करती है, जिसके लिए उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है।
बंगाल में ‘राजधर्म’ की कमी पर जताई चिंता
RSS ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक संरक्षण में हो रही हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की। संघ का कहना है कि राज्य में ‘राजधर्म’ की कमी है और लोगों के स्वतंत्र रूप से जीवन जीने के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। PM मोदी के रिटायरमेंट की अटकलों पर RSS का पूर्णविराम!
जनसंख्या नीति से लेकर विदेश नीति तक, RSS ने स्पष्ट किया अपना रुख
इस दौरान संघ ने कई अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपना दृष्टिकोण साफ किया:
जनसंख्या नीति: RSS जनसंख्या नियंत्रण के बजाय सभी भारतीयों के लिए एक समान जनसंख्या नीति की वकालत करता है।
अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यक संस्थानों से संबंधित अनुच्छेद 30 में संशोधन की मांग की गई।
विदेश नीति: भारत को चीन सहित सभी देशों के साथ संबंध रखने चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय संप्रभुता सर्वोपरि है।
बांग्लादेश के हिंदू: संघ ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे कथित हमलों पर भी चिंता जताई और वहां सभी धार्मिक समुदायों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की वकालत की।









