बिलासपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस की लापरवाही पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। एक सह-आरोपी के खिलाफ 10 वर्षों तक चार्जशीट दाखिल नहीं करने पर हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक (DGP) को हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया। इस मामले में एक दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सख्ती: 10 साल से लंबित जांच पर पुलिस को फटकार
पुलिस की लापरवाही पर कोर्ट का कड़ा रुख
मुंगेली निवासी देव कुमार जोशी के खिलाफ छात्रों से धन वसूली के आरोप में 2015 में एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन 10 साल बीत जाने के बावजूद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिससे तंग आकर आरोपी ने हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका दायर की।
👉 12 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए पुलिस की देरी पर नाराजगी जताई।
👉 DGP ने 7 फरवरी 2025 को हलफनामा दाखिल कर दोषी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानकारी दी। कई अधिकारियों की वेतनवृद्धि रोकी गई, तो कुछ की सेवा पुस्तिका में निंदा प्रविष्ट की गई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सख्ती: 10 साल से लंबित जांच पर पुलिस को फटकार
कोर्ट ने FIR रद्द करने की याचिका खारिज की
याचिकाकर्ता देव कुमार जोशी ने दावा किया कि वह प्रवेश पत्र जारी करने का अधिकृत अधिकारी था, इसलिए उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।
✅ कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि:
1️⃣ आरोपी को पहले ही अग्रिम जमानत मिल चुकी है
2️⃣ जांच लंबित है, जिसे जल्द पूरा किया जाना चाहिए
3️⃣ पुलिस को 6 हफ्ते में चार्जशीट दाखिल करने के निर्देश दिए
किन पुलिस अधिकारियों पर हुई कार्रवाई?
🔹 तत्कालीन थाना कुनकुरी में पदस्थ:
✔️ निरीक्षक मल्लिका तिवारी, उषा सोंधिया, विशाल कुजूर, भास्कर शर्मा
✔️ उप-निरीक्षक लाल जी सिंह, सुनील सिंह, जोगेंद्र साहू
✔️ प्रशिक्षु डीएसपी नितेश कुमार समेत अन्य अधिकारियों पर कार्रवाई की गई
क्या है पूरा मामला?
👉 ‘भारत सेवा संस्थान’ नामक संस्था व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करती है।
👉 2015 में छात्रों ने धन वसूली का आरोप लगाया।
👉 6 जून 2015 को कुनकुरी थाने में FIR दर्ज हुई।
👉 देव कुमार जोशी को अग्रिम जमानत मिली, लेकिन 9 साल से जांच अधूरी।
👉 पुलिस की लापरवाही से मामला लंबा खिंचता गया।
हाईकोर्ट के आदेश का असर
✅ डीजीपी के निर्देश पर जशपुर एसपी को जांच का आदेश
✅ चार सप्ताह में हस्ताक्षर सत्यापन रिपोर्ट आने की संभावना
✅ पुलिस को निर्देश – 6 हफ्तों में चार्जशीट दाखिल करें
इस केस ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब जांच प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सख्ती: 10 साल से लंबित जांच पर पुलिस को फटकार