भिलाई: छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की कार्यवाहियों को लेकर उठे सवालों के बीच, सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने सभी जिम्मेदार पक्षों को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस का उद्देश्य विश्वविद्यालय में लंबित शिकायत प्रकरणों की वस्तुस्थिति को जानना और विधि अपेक्षित कार्यवाही के लिए प्रतिक्रिया प्राप्त करना है।सीएसवीटीयू भिलाई में आंतरिक शिकायत समिति की जांच पर प्रश्नचिह्न: जिम्मेदार पक्षों को नोटिस जारी
नोटिस का उद्देश्य
- वास्तविक स्थिति की जानकारी: नोटिस के माध्यम से सीएसवीटीयू के कुलपति, कुलसचिव, आंतरिक शिकायत समिति, और संबंधित पक्षों से उनकी प्रतिक्रियाएं मांगी गई हैं। इस कदम का मकसद शिकायत प्रकरणों में किसी भी संभावित विसंगति को उजागर करना और उसकी सही स्थिति से अवगत होना है।
- लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण: सीएसवीटीयू और इसके संबद्ध महाविद्यालयों में कामकाजी महिलाओं और छात्रों के लिए गरिमापूर्ण और सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए यह नोटिस भेजा गया है। इस कदम के माध्यम से संबंधित अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति सचेत किया गया है।
उच्च शिक्षण संस्थानों में लैंगिक उत्पीड़न के खिलाफ सुझाव
सामाजिक कार्यकर्ता निशा देशमुख ने सुझाव दिया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों को लैंगिक उत्पीड़न मुक्त बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
जागरूकता अभियान
लैंगिक समानता पर शिक्षा: छात्रों, शिक्षकों, और कर्मचारियों को नियमित रूप से लैंगिक समानता, सहमति, और लैंगिक उत्पीड़न के प्रकारों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।
वर्कशॉप और सेमिनार: विशेषज्ञों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।
संवाद: खुले संवाद को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि लोग बिना किसी डर के अपनी चिंताओं को व्यक्त कर सकें।
नीतियां और कानून
स्पष्ट नीतियां: लैंगिक उत्पीड़न के खिलाफ स्पष्ट और सख्त नीतियां बनाई जानी चाहिए।
शिकायत प्रक्रिया: एक आसान और पारदर्शी शिकायत प्रक्रिया होनी चाहिए।
सख्त कार्रवाई: दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
सुरक्षा उपाय
सुरक्षा गार्ड: कैंपस में पर्याप्त संख्या में सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाने चाहिए।
सीसीटीवी कैमरे: कैंपस में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए।
आपातकालीन नंबर: एक आसानी से याद रखने वाला आपातकालीन नंबर होना चाहिए।
सहायता और परामर्श
काउंसलिंग सेल: छात्रों और कर्मचारियों को मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सहायता समूह: पीड़ितों के लिए सहायता समूह बनाए जा सकते हैं।
संस्थानों और समुदाय की भूमिका
संवेदनशीलता प्रशिक्षण: शिक्षकों और कर्मचारियों को संवेदनशीलता प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
माता-पिता की भागीदारी: माता-पिता को बच्चों को लैंगिक शिक्षा देने और संस्थानों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मीडिया का योगदान: मीडिया को लैंगिक उत्पीड़न के मुद्दों पर सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
निशा देशमुख ने कहा कि वे उच्च शिक्षण संस्थानों में लैंगिक उत्पीड़न मुक्त वातावरण स्थापित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं। उनके अनुसार, जिन संस्थानों में इस दिशा में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं, वहां जिम्मेदार प्राधिकारियों को नोटिस जारी कर विधि निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है
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