रायपुर: छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिज़र्व में एक और बाघिन की मौत की खबर सामने आई है। यह घटना लमनी क्षेत्र के चिरहटा में AKT 13 में हुई, जहां बाघिन का शव दो दिन पहले मिला था। हालांकि, वन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी आज प्राप्त हुई है। मौत के कारण पर उठ रहे सवालों के बीच, अधिकारियों की लापरवाही और उनकी भूमिका पर भी गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल
बाघिन की मौत: क्या है वास्तविक कारण?
- डॉक्टर चन्दन द्वारा पोस्टमार्टम के बाद यह बताया गया कि टेरिटोरियल फाइट के कारण बाघिन की मौत हुई। हालांकि, यह दावा विवादों में है क्योंकि पी.सी.सी.एफ. सुधीर अग्रवाल ने घटना के एक घंटे के भीतर, बिना मौके पर गए ही यही कारण घोषित कर दिया।
- सूत्रों के मुताबिक, इस घटना में कोई भी लड़ाई के निशान नहीं थे, और न ही बाघों के सहवास के दौरान ऐसी घटनाएं सामान्य होती हैं।
- यह संदेह जताया जा रहा है कि वन विभाग अधिकारियों की लापरवाही को छुपाने के लिए यह कहानी बनाई जा रही है। अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल
डॉक्टर चन्दन की भूमिका पर सवाल
- जब पोस्टमार्टम के बारे में टीम के सदस्य ने डॉक्टर से पूछा तो उन्होंने कहा कि वह बारनवापारा में हैं, लेकिन बाद में यह खुलासा हुआ कि डॉक्टर चन्दन ही पोस्टमार्टम करने वाले थे।
- डॉक्टर चन्दन ने बताया कि अधिकारी उनके साथ थे और उनके आदेशों का पालन करना पड़ा।
- यह सवाल उठता है कि अगर डॉक्टर और अधिकारियों की मिलीभगत है, तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल
बाघों की संख्या में कमी और वन विभाग की नाकामी
- छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ सालों में बाघों की संख्या में भारी कमी आई है। 2014 में यहां 46 बाघ थे, जो 2018 में घटकर 19 रह गए।
- नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार, उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती टाइगर रिज़र्व में इस समय केवल 7 बाघ रह गए हैं।
- वन विभाग की लापरवाही के कारण शिकारियों का मनोबल बढ़ा है और बाघों की संख्या घट रही है। इस दिशा में वन विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल
राज्य सरकार का कदम: बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है?
- राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश से 3 बाघों को लाने का फैसला किया है ताकि बाघों की आबादी बढ़ाई जा सके।
- हालांकि, पिछले 10 सालों में राज्य में बाघों के शिकार की कई घटनाएँ सामने आई हैं, और वन विभाग किसी ठोस योजना के बिना आगे बढ़ रहा है। अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल
वन विभाग पर उठ रहे सवाल
- वन विभाग पर यह आरोप है कि यह विभाग सिर्फ भ्रष्टाचार में ही अग्रसर है, और बाघों की सुरक्षा और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा।
- स्थानीय निवासियों और विशेषज्ञों का कहना है कि अचानकमार और बार नवापारा अभयारण्य में बाघों के लिए अनुकूल वातावरण विकसित करने में वन विभाग विफल रहा है। अचानकमार टाइगर रिज़र्व में बाघिन की मौत, वन विभाग पर उठे सवाल