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छत्तीसगढ़ के नेशनल हाईवे NH-45 पर रतनपुर से केंवची सड़क के उन्नयन का कार्य शुरू हो चुका है। ठेकेदार को वर्क आर्डर मिलने के बाद, कोलकाता की कंपनी श्यामा इंफ्रास्ट्रक्चर ने कार्य प्रारंभ कर दिया है। लेकिन विडंबना यह है कि इस सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा अब तक ग्रामीणों को नहीं मिला है।
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40 करोड़ की लागत से रतनपुर-केवंची सड़क चौड़ीकरण का कार्य शुरू, ग्रामीणों को नहीं मिला मुआवजा, केंद्रीय राज्य मंत्री से हुई शिकायत
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इस नेशनल हाईवे में पड़ने वाले गांव खोडरी, ठेंगाडांड़, एवं गौरखेड़ा के जमीन मालिकों को उनके स्वामित्व और अधिपत्य भूमि की मुआवजा राशि अब तक नहीं मिली है।
जानिए पूरा मामला
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एनएच 45 केंवची-रतनपुर रोड के उन्नयन के लिए अगस्त 2022 में निविदा जारी की थी। नेशनल हाईवे के अंतर्गत रतनपुर-मंझवानी-केंदा-केंवची तक 82 किलोमीटर सड़क निर्माण होना है, जिसके लिए 212 करोड़ की राशि मंजूर हो चुकी है। बिलासपुर और गौरेला पेंड्रा मरवाही (जीपीएम) दोनों जिलों में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है। जीपीएम के लिए 9 करोड़ और बिलासपुर जिले के लिए 40 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। टेंडर में बिलासपुर जिले के अंतर्गत 42 किलोमीटर सड़क का काम शांति इंजीकाम को मिला है, जबकि जीपीएम जिले में 35 किलोमीटर सड़क का काम कोलकाता की श्यामा इंफ्रास्ट्रक्चर को दिया गया है। काम शुरू होने के बाद भी ग्रामीणों को उनकी जमीन की मुआवजा राशि अब तक नहीं मिली है, जिससे वे सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
सड़क के लिए काटेंगे हजारों पेड़, 10 मीटर चौड़ी होगी सड़क
रतनपुर-मंझवानी-केंदा-केंवची सड़क वर्तमान में सात मीटर चौड़ी है। इससे ट्रैफिक में समस्या आती है। पूर्व में बिलासपुर से अमरकंटक जाने के लिए अचानकमार और रतनपुर-मंझवानी-केंदा वाले दो मार्ग थे, लेकिन टाइगर रिजर्व एरिया होने के कारण अचानकमार से होकर गुजरने वाली सड़क को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। अब अमरकंटक जाने के लिए रतनपुर-मंझवानी-केंदा-केंवची सड़क पर ट्रैफिक काफी बढ़ गया है। सड़क 10 मीटर चौड़ी होने से आवागमन आसान हो जाएगा। हालांकि, इसके लिए हजारों पेड़ों को अपनी कुर्बानी देनी पड़ेगी।
केंद्रीय मंत्री को हुई शिकायत
यह सड़क दो जिलों, बिलासपुर और गौरेला पेंड्रा मरवाही, को जोड़ती है और मध्यप्रदेश से सीधे कनेक्टिविटी हो जाती है। अमरकंटक, अनूपपुर, शहडोल जाना आसान हो जाएगा। कबीर चौरा और अमरकंटक जाने में लगने वाला समय कम हो जाएगा। 10 मीटर चौड़ी सड़क बनने से आवागमन में आसानी होगी।
इन गांवों के ग्रामीणों ने सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई भूमि के मुआवजा राशि के लिए संबंधित कार्यालयों के खूब चक्कर काटे हैं। जब केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू गौरेला पेंड्रा के दौरे पर आए थे, तो इन गांवों के ग्रामीणों ने मंत्री साहू को ज्ञापन देकर मुआवजा राशि दिलाने की मांग की है। अब देखने वाली बात होगी कि केंद्रीय मंत्री के संज्ञान में आने के बाद इन ग्रामीणों को उनके जमीन की मुआवजा राशि कब तक मिल पाती है।
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