धान की खेती में क्रांति: सीधी बुवाई से बंपर उपज और दोगुनी कमाई, पाएं 50% सरकारी सब्सिडी!
भारतीय कृषि, विशेषकर धान की खेती, एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुज़र रही है। “विकसित कृषि संकल्प अभियान” जैसी सरकारी पहलें किसानों को नवीन तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं, जिससे न केवल उनकी उपज बढ़ेगी बल्कि खेती की लागत भी कम होगी। आइए, धान की सीधी बुवाई और लाइन सोइंग जैसी आधुनिक पद्धतियों और उन पर मिलने वाले सरकारी लाभों पर विस्तार से चर्चा करें।धान की खेती में क्रांति
“विकसित कृषि संकल्प अभियान”: किसानों के लिए एक नई सुबह
किसानों की आय दोगुनी करने और कृषि को मुनाफे का सौदा बनाने के उद्देश्य से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है। इस पहल के तहत, कृषि वैज्ञानिकों और किसानों को एक साझा मंच प्रदान किया जा रहा है, जहाँ वे खेती की नवीनतम तकनीकों और पद्धतियों पर चर्चा कर सकते हैं और ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते हैं।धान की खेती में क्रांति
उत्तर प्रदेश सरकार, इस अभियान के अंतर्गत, किसानों को धान की पारंपरिक रोपाई के स्थान पर सीधी बुवाई (DSR) और लाइन सोइंग जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इन तकनीकों में इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्रों की खरीद पर 50% तक का आकर्षक अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है।धान की खेती में क्रांति
धान की सीधी बुवाई और लाइन सोइंग: क्यों है फायदेमंद?
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, इन नवीन पद्धतियों से न केवल धान का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि खेती की लागत में भी प्रति हेक्टेयर लगभग ₹12,500 तक की कमी आएगी। इसके प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
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श्रम और लागत में भारी कटौती: नर्सरी तैयार करने, पलेवा करने और धान की रोपाई जैसे श्रमसाध्य और खर्चीले कामों से छुटकारा मिलता है।
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उन्नत पोषण, बेहतर विकास: ज़ीरो टिल सीड ड्रिल या हैप्पी सीडर जैसे यंत्रों से बुवाई करने पर बीज और खाद एक साथ उचित गहराई पर गिरते हैं, जिससे पौधों को शुरुआत से ही बेहतर पोषण मिलता है।
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फसल सुरक्षा में आसानी: फसलें कतारों में होने के कारण खरपतवार नियंत्रण और कीटनाशकों का छिड़काव अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
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सिंचाई जल की बचत: लेजर लैंड लेवलर से खेत को समतल करने पर पानी का समान वितरण होता है, जिससे सिंचाई जल की काफी बचत होती है, जो आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
कैसे करें धान की सीधी बुवाई/लाइन सोइंग: प्रमुख तकनीकी सुझाव
धान की इन आधुनिक तकनीकों से सर्वश्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
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खेत की तैयारी:
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बुवाई से पहले खेत का समतलीकरण लेजर लेवलर से करना महत्वपूर्ण है।
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बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी (ओट) होनी चाहिए।
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बीज को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए ताकि अंकुरण अच्छा हो।
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बीज की सही मात्रा:
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महीन धान की किस्में: 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
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मोटी धान की किस्में: 35 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
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संकर (हाइब्रिड) किस्में: 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
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बीज उपचार:
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फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए 3 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज को उपचारित करें।
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खाद एवं उर्वरक प्रबंधन (NPK):
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संतुलित पोषण के लिए 150:60:60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (नाइट्रोजन:फास्फोरस:पोटाश) की सिफारिश की जाती है।
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बुवाई के समय 130 किलोग्राम डीएपी (DAP) प्रति हेक्टेयर अवश्य दें। शेष नाइट्रोजन का उपयोग टॉप ड्रेसिंग के रूप में करें।
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खरपतवार नियंत्रण: चुनौती और समाधान
सीधी बुवाई में खरपतवार एक प्रमुख समस्या हो सकती है, लेकिन सही समय पर उचित प्रबंधन से इस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है:
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बुवाई के 24 घंटे के भीतर: पेंडीमेथलीन 30 EC @ 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर (600 लीटर पानी में घोलकर) का छिड़काव करें। यह अंकुरण-पूर्व खरपतवारनाशक है।
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बुवाई के 20-25 दिन बाद: चौड़ी पत्ती वाले और कुछ घास वाले खरपतवारों के लिए बिसपाइरिबैक सोडियम 10% SC (जैसे नोमिनी गोल्ड/एडोरा) @ 100 मिली प्रति एकड़ (150 लीटर पानी में) का छिड़काव करें।
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मोथा घास के नियंत्रण के लिए: इथॉक्सीसल्फ्यूरॉन 15% WG (जैसे सनराइस) @ 50-60 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें।
कृषि यंत्रों पर सरकारी अनुदान: किसानों के लिए सुनहरा अवसर
किसानों को इन आधुनिक तकनीकों को अपनाने में आर्थिक सहायता देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लाइन सोइंग, सीधी बुवाई और बेड प्लांटिंग में उपयोगी कृषि यंत्रों (जैसे जीरो टिल सीड ड्रिल, हैप्पी सीडर, लेजर लैंड लेवलर आदि) पर 50% तक का अनुदान दे रही है। यह किसानों के लिए इन महंगी मशीनों को खरीदने और अपनी खेती को आधुनिक बनाने का एक शानदार मौका है।
धान की सीधी बुवाई और लाइन सोइंग तकनीकें न केवल किसानों की लागत कम करेंगी बल्कि उत्पादन बढ़ाकर उनकी आय में भी वृद्धि करेंगी। सरकारी अनुदान का लाभ उठाकर किसान इन नवीन पद्धतियों को अपनाकर कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं और “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।धान की खेती में क्रांति