राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि यदि चेक बाउंसिंग की शिकायत 15 दिनों की निर्धारित समय सीमा समाप्त होने से पहले दर्ज की जाती है, तो न्यायालय ऐसी शिकायत का संज्ञान नहीं ले सकता। हालांकि, न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में, शिकायतकर्ता एक महीने के भीतर उसी कारण से दूसरी शिकायत दर्ज कर सकता है। धारा 138 एनआई एक्ट: समय से पहले शिकायत दर्ज करने पर राहत नहीं मिल सकती, राजस्थान हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस अनूप कुमार ढांढ़ ने कहा कि,
“सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार, जब शिकायत 15 दिनों की वैधानिक अवधि से पहले दर्ज की जाती है, तो न्यायालय इसे स्वीकार नहीं कर सकता। हालांकि, ऐसी शिकायत में देरी को माफ करते हुए दूसरी शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी जाती है।”
न्यायालय ने आगे कहा कि इस प्रकार के कानून का उद्देश्य समय से पहले शिकायत दर्ज करने की प्रथा को कम करना था, ताकि शिकायतकर्ता को न्याय से वंचित न किया जा सके। धारा 138 एनआई एक्ट: समय से पहले शिकायत दर्ज करने पर राहत नहीं मिल सकती, राजस्थान हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
क्या है धारा 138 एनआई एक्ट?
धारा 138 के तहत, यदि किसी चेक को बाउंस किया जाता है, तो चेक जारी करने वाले व्यक्ति को 15 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है। यदि वह ऐसा नहीं करता, तो शिकायतकर्ता एक महीने के भीतर अदालत में शिकायत दर्ज कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह भी स्पष्ट किया कि 15 दिनों से पहले दायर की गई शिकायत अस्वीकार योग्य होती है, लेकिन एक महीने के भीतर दूसरी शिकायत दर्ज करने की अनुमति दी जाती है, जिससे शिकायतकर्ता को राहत मिल सके। धारा 138 एनआई एक्ट: समय से पहले शिकायत दर्ज करने पर राहत नहीं मिल सकती, राजस्थान हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
कोर्ट का निर्णय:
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए अभियुक्त को बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया और अपीलकर्ता को एक महीने के भीतर नई शिकायत दर्ज करने की स्वतंत्रता दी।
किसी भी व्यक्ति को उपचार के बिना नहीं छोड़ा जा सकता, यह सिद्धांत न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण है और कोर्ट ने इस फैसले के माध्यम से इसे पुनः स्पष्ट किया। धारा 138 एनआई एक्ट: समय से पहले शिकायत दर्ज करने पर राहत नहीं मिल सकती, राजस्थान हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय