मनरेगा में बड़ी धांधली: मजदूरों का हक छीनकर JCB से हो रही खुदाई, डोंगरगढ़ में भ्रष्टाचार का सनसनीखेज खुलासा
मुख्य बिंदु:
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डोंगरगढ़ के ग्राम पंचायत बोरतलाव में मनरेगा योजना में भारी भ्रष्टाचार।
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9 लाख की लागत वाले डबरी खनन का काम मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन से कराया जा रहा।
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हैरानी की बात, मजदूरों ने ही पैसे मिलाकर मशीन लगाने का दावा किया और मीडिया को धमकी दी।
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सरपंच ने मामले से पल्ला झाड़ा, अधिकारी ने जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया।
डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) जिसे गरीबों और मजदूरों को 100 दिन का सुनिश्चित रोजगार देने के लिए बनाया गया था, आज डोंगरगढ़ जनपद में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता दिख रहा है। ग्राम पंचायत बोरतलाव में मनरेगा के तहत हो रहे डबरी (तालाब) खनन कार्य में मजदूरों की जगह जेसीबी मशीन लगाकर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।मनरेगा में बड़ी धांधली
लाखों का काम, पर मजदूरों के हाथ खाली
ग्राम पंचायत बोरतलाव के बैगाटोला में मनरेगा योजना के अंतर्गत एक डबरी खनन के लिए 9 लाख रुपए की राशि स्वीकृत हुई थी। इस योजना का एकमात्र उद्देश्य स्थानीय मजदूरों को रोजगार देना था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां मजदूरों के फावड़े और तगाड़ी की जगह जेसीबी मशीन की गरज सुनाई दे रही है, जो सीधे-सीधे मजदूरों का हक छीन रही है।मनरेगा में बड़ी धांधली
भ्रष्टाचार में मजदूर भी भागीदार? मीडियाकर्मियों को दी धमकी
इस मामले का सबसे चौंकाने वाला पहलू तब सामने आया जब मीडियाकर्मी मौके पर पहुंचे। वहां मौजूद मजदूरों ने इस भ्रष्टाचार को छिपाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि “जमीन पथरीली होने के कारण हम सबने चंदा करके जेसीबी मशीन लगवाई है।” इतना ही नहीं, उन्होंने कवरेज करने आए मीडियाकर्मियों को घेर लिया और धमकी देते हुए कहा, “अगर यह खबर चलाई तो दोबारा गांव में कदम मत रखना।” यह घटना न केवल भ्रष्टाचार में मजदूरों की संदिग्ध संलिप्तता को उजागर करती है, बल्कि मीडिया की सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।मनरेगा में बड़ी धांधली
गोलमोल जवाब और उठते सवाल: सरपंच ने झाड़ा पल्ला
जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच से बात की गई, तो उन्होंने बेहद गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि इस काम में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं है और यह कार्य मेट और रोजगार सहायक द्वारा कराया जा रहा है। उन्होंने खुद को पूरी तरह से निर्दोष बताया। लेकिन सवाल यह उठता है कि लाखों रुपए का सरकारी काम बिना सरपंच, सचिव और तकनीकी अधिकारी की जानकारी और अनुमति के कैसे शुरू हो सकता है? बिना पंचायत के प्रस्ताव और स्थल चयन के मनरेगा का काम होना लगभग असंभव है, जो इस पूरे मामले को और भी संदेहास्पद बनाता है।मनरेगा में बड़ी धांधली
प्रशासन की नींद टूटी, जांच के बाद होगी कार्रवाई
मामला उजागर होने के बाद प्रशासनिक अमला हरकत में आया है। जनपद पंचायत डोंगरगढ़ के कार्यक्रम अधिकारी, विजय प्रताप सिंह ने कहा है कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर एक जांच टीम का गठन किया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की गहराई से जांच होगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ मनरेगा अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।मनरेगा में बड़ी धांधली
क्या कहता है मनरेगा का कानून?
मनरेगा अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों को साल में कम से कम 100 दिन का अकुशल शारीरिक श्रम उपलब्ध कराना है। इस अधिनियम के तहत ठेकेदारी प्रथा और मशीनों का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यदि कोई भी अधिकारी या पंचायत प्रतिनिधि मजदूरों की जगह मशीन का उपयोग करता पाया जाता है, तो यह एक गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।मनरेगा में बड़ी धांधली