डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी!
मोबाइल टावर कंपनियों पर 20 लाख बकाया, वहीं नक्सल पीड़ित की दुकान बिना नोटिस सील; सीएमओ की कार्यशैली पर उठे सवाल

डोंगरगढ़: डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी! धर्मनगरी डोंगरगढ़ इन दिनों नगर पालिका परिषद की विवादित कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। स्थानीय लोगों और दुकानदारों का आरोप है कि पालिका प्रशासन गरीब और छोटे दुकानदारों पर किराया वसूली के नाम पर कठोर कार्रवाई कर रहा है, जबकि मोबाइल टावर कंपनियों जैसे बड़े बकायेदारों के प्रति नरम रुख अपनाए हुए है। इस मामले ने नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी (सीएमओ) खिलेंद्र भोई की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मोबाइल टावरों पर 20 लाख से अधिक का बकाया, कार्रवाई शिथिल

जानकारी के अनुसार, नगर पालिका क्षेत्र में स्थापित मोबाइल टावरों से वर्षों से 20 लाख रुपये से अधिक का किराया बकाया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस भारी-भरकम बकाये के बावजूद पालिका प्रशासन ने इन कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। वहीं, दूसरी ओर, छोटे और गरीब दुकानदारों पर किराया बकाया होने पर उनकी दुकानें बिना किसी पूर्व सूचना के सील की जा रही हैं, जिससे स्थानीय जनता में भारी रोष और असंतोष व्याप्त है।डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी!
नक्सल पीड़ित की दुकान बिना नोटिस सील, मानवीय संवेदना पर सवाल

सबसे चिंताजनक मामला करबला चौक का है, जहां एक नक्सल पीड़ित परिवार की दुकान को बिना किसी पूर्व नोटिस के सील कर दिया गया। यह दुकान धीरेन्द्र साहू की है, जो वर्ष 2006 में नक्सली हिंसा का शिकार हुए थे। शासन-प्रशासन ने उन्हें पुनर्वास योजना के तहत जीवनयापन के लिए यह दुकान आवंटित की थी। धीरेन्द्र साहू ने बताया, “हम नक्सल पीड़ित हैं, सरकार ने दुकान दी थी ताकि जीवन चल सके। आज बिना नोटिस दुकान सील कर दी गई। अधिकारी से मिलने गए तो उन्होंने बात तक नहीं सुनी और दफ्तर से बाहर निकाल दिया।” उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने कुछ दिनों की मोहलत मांगी थी, जिसे सीएमओ खिलेंद्र भोई ने ठुकरा दिया।डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी!
पालिका का पक्ष: “सभी पर समान कार्रवाई की जा रही है”
मुख्य नगर पालिका अधिकारी खिलेंद्र भोई ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि नगर पालिका किसी के साथ पक्षपात नहीं कर रही है और सभी से समान रूप से किराया वसूली की जा रही है, चाहे वे दुकानदार हों या टावर मालिक। भोई ने बताया कि एक टावर से 2 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है और शेष टावरों को तीन नोटिस भेजे गए हैं। साथ ही एसडीएम से आगे की कार्रवाई के लिए अनुरोध किया गया है।डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी!
संवेदनशीलता और समान न्याय पर उठे गंभीर सवाल
यह पूरा मामला सिर्फ प्रशासनिक निर्णय का नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना का भी विषय बन गया है। सरकार “नक्सल पीड़ित सहायता एवं पुनर्वास योजना” पर करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन जब इन्हीं लाभार्थियों के साथ ऐसा व्यवहार हो, तो योजना की मूल भावना पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है। एक ओर मोबाइल टावर संचालकों के करोड़ों के बकाये के बावजूद नरम रुख और दूसरी ओर एक गरीब नक्सल पीड़ित की दुकान सील करने की कार्रवाई- यह नगर पालिका की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा रही है। अब डोंगरगढ़ की जनता पूछ रही है: क्या नगर पालिका सच में समान न्याय कर रही है, या फिर रसूखदारों के दबाव में निर्णय लिए जा रहे हैं? इस मामले पर प्रशासन को जल्द से जल्द स्पष्टीकरण देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय सभी के लिए समान हो।डोंगरगढ़ नगर पालिका पर गंभीर आरोप: गरीबों पर सख्ती, रसूखदारों पर नरमी!









