
भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत, पहले बच्चों की हो चुकी है अदला-बदली… व्यवस्था पर उठे सवाल
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मुख्य सुर्खियां:
भिलाई जिला अस्पताल में एक महीने के भीतर दूसरी प्रसूता की मौत से हड़कंप।
सिजेरियन डिलीवरी के कुछ घंटों बाद ममता नामक महिला ने तोड़ा दम।
अस्पताल पर लापरवाही, स्टाफ की कमी और पैसों के लेनदेन के लग रहे हैं गंभीर आरोप।
इसी अस्पताल में जनवरी में बच्चों की अदला-बदली का भी हो चुका है सनसनीखेज मामला।
अस्पताल प्रबंधन मौत को ‘दुर्लभ मेडिकल कंडीशन’ बता रहा, लेकिन व्यवस्था पर उठ रहे हैं कई सवाल।
भिलाई/दुर्ग: भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत, छत्तीसगढ़ का भिलाई जिला अस्पताल एक बार फिर गंभीर सवालों के घेरे में है। यहां एक महीने के अंदर प्रसव के लिए आई दूसरी महिला की मौत हो गई है, जिससे अस्पताल की पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग गया है। यह घटना उस भरोसे को तोड़ रही है जिसके साथ लोग सुरक्षित प्रसव की उम्मीद लेकर सरकारी अस्पतालों का रुख करते हैं।
एक महीने में दूसरी मौत, सिजेरियन के बाद ममता ने तोड़ा दम
ताजा मामला दुर्ग निवासी ममता का है, जिनका शनिवार को सिजेरियन ऑपरेशन के जरिए प्रसव कराया गया। उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन इसके महज तीन घंटे बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ने लगी और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। वह अपने नवजात को दुनिया में अकेला छोड़कर चली गईं।भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत
इससे ठीक पहले, 9 जुलाई को भी कुगदा निवासी आरती मारकंडे की सामान्य प्रसव के 5 घंटे बाद इसी अस्पताल में मौत हो गई थी। उस मामले की जांच रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है और अब यह दूसरी दुखद घटना घट गई है।भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत
लापरवाही का केंद्र या मजबूरी? सवालों के घेरे में अस्पताल
जिला अस्पताल प्रबंधन ने ममता की मौत का संभावित कारण ‘एमनियोटिक फ्लूइड एम्बोलिज्म’ को बताया है। यह एक दुर्लभ और जानलेवा मेडिकल स्थिति है, जिसमें बच्चे के आसपास का एमनियोटिक द्रव मां के रक्तप्रवाह में चला जाता है। हालांकि, अस्पताल पर लग रहे लापरवाही के आरोप इस तर्क को कमजोर कर रहे हैं। सवाल यह है कि अगर ऐसी स्थितियों का खतरा रहता है, तो इससे निपटने के लिए अस्पताल के पास क्या पूर्व तैयारी होती है? इस पर कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है। मौत की असली वजह जानने के लिए शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत
जब बच्चों की हुई अदला-बदली, DNA टेस्ट से सुलझा मामला
यह पहली बार नहीं है जब यह अस्पताल अपनी कार्यप्रणाली को लेकर विवादों में आया है।भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत
बच्चों की अदला-बदली: इसी साल जनवरी में यहां बच्चों की अदला-बदली की सनसनीखेज घटना सामने आई थी। एक ही दिन पैदा हुए दो बच्चों के हाथ में बंधे टैग बदल गए थे, जिसका खुलासा एक हफ्ते बाद हुआ। मामले को सुलझाने के लिए DNA टेस्ट का सहारा लेना पड़ा, जिसके बाद ही बच्चों को उनके असली माता-पिता को सौंपा जा सका। इस गंभीर लापरवाही के मामले में भी जांच के नाम पर केवल छोटे कर्मचारियों पर ही कार्रवाई हुई थी।
अनुभवी स्टाफ की कमी और पैसों के लेन-देन के गंभीर आरोप
अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली कई और भी वजहें हैं:
पैसों का खेल: मरीजों के परिजन अक्सर आरोप लगाते हैं कि यहां जच्चा-बच्चा की अच्छी देखभाल के लिए पैसे मांगे जाते हैं। जो लोग खुशी से पैसे दे देते हैं, उनकी देखभाल ठीक होती है, लेकिन पैसे कम देने पर कथित तौर पर लापरवाही बरती जाती है।
स्टाफ की कमी और अव्यवस्था: एक शिकायत के बाद दिसंबर 2024 में यहां से आधा दर्जन अनुभवी नर्सों का तबादला कर दिया गया था। साथ ही, सरकार द्वारा कर्मचारियों का संलग्नीकरण समाप्त करने के आदेश का भी यहां पालन नहीं हो रहा है, जिससे स्टाफ की व्यवस्था अस्त-व्यस्त है।
एक के बाद एक हो रही इन घटनाओं ने भिलाई जिला अस्पताल की साख पर गहरा बट्टा लगाया है और यह सवाल खड़ा किया है कि आखिर मासूमों से बार-बार ममता का साया छिनने का जिम्मेदार कौन है?भिलाई जिला अस्पताल पर गंभीर सवाल! महीने में दूसरी मां की मौत









