श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: HC का शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार, हिंदू पक्ष को झटका, जानें कोर्ट ने क्या कहा
Shri Krishna Janmabhoomi Dispute: HC का शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें शाही ईदगाह को बाबरी मस्जिद की तरह ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की गई थी। इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
शुक्रवार (5 जुलाई, 2024) को न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिसे 4 जुलाई को ही सुरक्षित रख लिया गया था।
क्यों खारिज हुई याचिका? कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि याचिका में शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने के लिए पर्याप्त कानूनी आधार और सबूत पेश नहीं किए गए। कोर्ट ने माना कि सिर्फ ऐतिहासिक दावों के आधार पर किसी संरचना को इस तरह से विवादित घोषित नहीं किया जा सकता, खासकर जब मामला पहले से ही अदालत में विचाराधीन हो।HC का शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार
क्या थी हिंदू पक्ष की मांग?
यह याचिका श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से दायर की गई थी। याचिका में मुख्य रूप से ये मांगें थीं:
-
शाही ईदगाह मस्जिद को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान पर बना हुआ माना जाए।
-
यह दावा किया गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने पुराने मंदिर को तोड़कर इसे बनाया था।
-
इसलिए, इसे बाबरी मस्जिद मामले की तरह ही एक ‘विवादित ढांचा’ घोषित किया जाए।
मुस्लिम पक्ष ने क्या दी थीं दलीलें?
मुस्लिम पक्ष ने इस याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। उनकी मुख्य दलीलें थीं:
-
याचिकाकर्ता के दावे ऐतिहासिक तथ्यों और रिकॉर्ड पर आधारित नहीं हैं।
-
जब इस मामले में पहले से ही कई मुकदमे चल रहे हैं, तो इस तरह की अलग याचिकाएं दायर करना सही नहीं है।
-
शाही ईदगाह को विवादित ढांचे की श्रेणी में लाने के लिए कोई नया सबूत पेश नहीं किया गया है।
विवाद की जड़ और अब तक क्या हुआ?
यह मामला अयोध्या और काशी के बाद देश के सबसे बड़े और संवेदनशील धार्मिक विवादों में से एक है।
-
हिंदू पक्ष का दावा: शाही ईदगाह मस्जिद ठीक उसी जगह बनी है, जहां भगवान श्रीकृष्ण का मूल गर्भगृह था।
-
मुस्लिम पक्ष का दावा: वे 1968 के समझौते का हवाला देते हैं और ऐतिहासिक दावों को खारिज करते हैं।
इस मामले से जुड़ी 15 से अधिक याचिकाएं फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं। हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई करने का फैसला किया था। इससे पहले, हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष को मुकदमे में केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने की भी अनुमति दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया था।HC का शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार
अब आगे क्या? दोनों पक्षों का अगला कदम
इस फैसले के बाद अब दोनों पक्षों की आगे की रणनीति भी साफ हो रही है:
-
हिंदू पक्ष: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास ने संकेत दिया है कि वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उनका कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ एक जमीन की नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक न्याय की है।
-
मुस्लिम पक्ष: उन्होंने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
भले ही हाईकोर्ट ने ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की एक याचिका खारिज कर दी हो, लेकिन जमीन के मालिकाना हक को लेकर मुख्य मुकदमा अभी भी जारी रहेगा। यह मामला धार्मिक और राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील बना हुआ है और देश की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।HC का शाही ईदगाह को ‘विवादित ढांचा’ मानने से इनकार