STF ने किया 200 टोल प्लाजा पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा, 3 आरोपी गिरफ्तार
लखनऊ। यूपी STF ने NHAI के टोल प्लाजा पर टैक्स वसूली में हो रहे करोड़ों के घोटाले का भंडाफोड़ किया है। बुधवार तड़के 3:50 बजे STF की टीम ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर छापेमारी कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपियों में मनीष मिश्रा, राजीव कुमार मिश्रा और आलोक सिंह शामिल हैं।STF ने किया 200 टोल प्लाजा पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा
इन आरोपियों ने टोल प्लाजा के NHAI सॉफ्टवेयर में अपना अलग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था। इस सॉफ्टवेयर की मदद से नॉन-फास्टैग वाहनों से अवैध वसूली की जा रही थी।STF ने किया 200 टोल प्लाजा पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा
2 साल से हर रोज 45 हजार की अवैध वसूली
STF की जांच में सामने आया कि ये गिरोह अतरैला के शिवगुलाम टोल प्लाजा पर रोजाना 45 हजार रुपये का गबन कर रहा था।
- अब तक 3.28 करोड़ रुपये का गबन सिर्फ इसी टोल प्लाजा से हो चुका है।
- यह गिरोह देश के 12 राज्यों के 200 टोल प्लाजा पर यह घोटाला कर रहा था।
- इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
गिरफ्तार आरोपियों से क्या बरामद हुआ?
STF ने आरोपियों के कब्जे से निम्नलिखित चीजें बरामद की हैं:
- 2 लैपटॉप
- 1 प्रिंटर
- 5 मोबाइल फोन
- 1 कार
- 19,000 रुपये नकद
कैसे हो रहा था घोटाला?
आरोपियों ने STF को बताया कि उन्होंने टोल प्लाजा के कंप्यूटर में NHAI के सॉफ्टवेयर के साथ एक अलग सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था।STF ने किया 200 टोल प्लाजा पर करोड़ों के घोटाले का खुलासा
- यह सॉफ्टवेयर नॉन-फास्टैग वाहनों से वसूली किए गए पैसे को गबन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
- गाड़ियों से वसूला गया दोगुना शुल्क उनके सॉफ्टवेयर में दर्ज हो जाता था।
- इस अवैध वसूली की रसीदें NHAI की रसीदों जैसी होती थीं।
- गाड़ियों को टोल शुल्क मुक्त श्रेणी में दिखाकर गबन किया जाता था।
नियमानुसार:
- बिना फास्टैग वाली गाड़ियों से वसूले जाने वाले दोगुने शुल्क का 50% हिस्सा NHAI को जमा करना होता है।
- लेकिन इस गिरोह ने केवल 5% धनराशि NHAI खाते में जमा की, बाकी का 95% गबन कर लिया।
आरोपियों ने कबूल किया गुनाह
मुख्य आरोपी आलोक सिंह, जो कि MCA पास है, ने STF को बताया:
- वह पहले टोल प्लाजा पर काम करता था।
- वहीं से उसने टोल प्लाजा मालिकों और IT कर्मियों के साथ मिलीभगत कर सॉफ्टवेयर बनाया।
- इस सॉफ्टवेयर को देशभर के 42 टोल प्लाजा में इंस्टॉल किया गया।
- आलोक ने कबूल किया कि वह पिछले 2 साल से इस घोटाले में सक्रिय है।
12 राज्यों में फैला है नेटवर्क
STF की जांच में सामने आया है कि यह घोटाला 200 टोल प्लाजा तक फैला हुआ है।
- उत्तर प्रदेश के आजमगढ़, प्रयागराज, बागपत, बरेली, शामली, मिर्जापुर और गोरखपुर जिलों में बड़े स्तर पर यह घोटाला हुआ है।
- STF अब अन्य टोल प्लाजा की जांच के लिए एक टीम बना रही है।
STF का क्या कहना है?
STF के ASP विनोद कुमार सिंह ने बताया:
- “यह गिरोह देशभर के कई टोल प्लाजा पर सक्रिय है।
- एक डिटेल रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे NHAI से साझा किया जाएगा।”
फास्टैग: एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम
- फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है, जो RFID टेक्नोलॉजी पर काम करता है।
- यह गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन डिटेल से जुड़ा होता है।
- नियम के अनुसार, बिना फास्टैग गाड़ियों से वसूला गया शुल्क दोगुना होता है, जिसका 50% हिस्सा NHAI को जाता है।
धोखाधड़ी का मुख्य कारण
- नॉन-फास्टैग वाहनों या कम बैलेंस वाले फास्टैग वाहनों को टारगेट किया गया।
- टोल प्लाजा पर NHAI के कंप्यूटर में फर्जी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर गबन किया गया।
घोटाले से जुड़े जिलों के नाम
- यूपी में आजमगढ़, प्रयागराज, बागपत, बरेली, शामली, मिर्जापुर और गोरखपुर में यह घोटाला हुआ।
- अन्य राज्यों में भी जांच जारी है।