रायपुर: छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता पर संकट
देश भर में आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है, लेकिन राज्य के वरिष्ठ आदिवासी मंत्री और उनके करीबी दलाल इन प्रयासों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है, लेकिन राज्य के आदिवासी मंत्री और उनके दलाल एकलव्य आदिवासी विद्यालय के टेंडर में घोटाले के खेल में शामिल हैं। भारत सरकार के CVC नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अरबों का टेंडर घोटाला – आदिवासी मंत्री और दलाल की मिलीभगत में बड़ा खेल
CVC नियमों का उल्लंघन – टेंडर में परसेंटेज की राजनीति
यह पूरा मामला एकलव्य आदिवासी विद्यालय के टेंडर से जुड़ा है, जिसमें पूरे प्रदेश के वनांचल क्षेत्रों में स्कूल और छात्रावास की नई इमारतों का निर्माण किया जाना है। आदिवासी बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की योजना थी, लेकिन यह मंत्री और उनके दलालों के लिए एक पैसे कमाने का अवसर बन गया।
तीन कंपनियों ने टेंडर में भाग लिया था जो भारत सरकार के CVC नियमों का पालन कर रही थीं। इनमें L1, L2 और L3 कंपनियां शामिल थीं। L1 कंपनी का परसेंट 3.5% था, L2 का 3.6% और L3 का लगभग 4% से ऊपर था। आदर्श रूप से, L1 को इस टेंडर का 60% काम मिलना चाहिए था, लेकिन मंत्री और उनके दलाल ने परसेंटेज के खेल में L2 को 459 करोड़ का काम दिलवाया। वहीं, L3 को 250 करोड़ का काम और L1 को मात्र 150 करोड़ का वर्क ऑर्डर दिया गया। भारत सरकार के CVC नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अरबों का टेंडर घोटाला – आदिवासी मंत्री और दलाल की मिलीभगत में बड़ा खेल
मंत्री और दलाल की मिलीभगत – महीनों बाद काम की स्वीकृति
इस काली कमाई के खेल में महीनों तक मंत्री और उनके दलालों ने इस परसेंटेज के खेल को चलाए रखा। L1 से 6% कमीशन की मांग की गई, लेकिन जब L1 ने इसे नकार दिया, तो मंत्री और दलाल ने L2 और L3 से संपर्क किया और मोटी रकम लेकर उनका काम तय किया। महीनों तक, L1 को वर्क ऑर्डर नहीं दिया गया, लेकिन जब यह वर्क ऑर्डर जारी किया गया, तो सारा खेल पलट गया। भारत सरकार के CVC नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अरबों का टेंडर घोटाला – आदिवासी मंत्री और दलाल की मिलीभगत में बड़ा खेल
सियासी गलियारों में मंत्री और दलाल की जुगलबंदी की चर्चा
मंत्री और उनके दलाल की मिलीभगत अब सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन चुकी है। मंत्री ने विभाग को पूरी तरह से इस दलाल के हाथों सौंप दिया है, और यह सब एक साल के अंदर हुआ। मंत्री का कार्यालय अब दलाल के कार्यस्थल का हिस्सा बन गया है, जहां सरकारी खजाने की गड़बड़ी की जाती है। मंत्री अब इस दलाल के हाथों की कठपुतली बन गए हैं और उन्हीं के हिसाब से काम कर रहे हैं। भारत सरकार के CVC नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अरबों का टेंडर घोटाला – आदिवासी मंत्री और दलाल की मिलीभगत में बड़ा खेल