
तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल, 20 से ज्यादा केस, फिर भी नेताओं-अफसरों की सांठगांठ ने बनाया ‘माननीय’!
रायपुर: तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल, हत्या, अपहरण, ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी जैसे 20 से ज्यादा संगीन मामलों के आरोपी हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र सिंह तोमर उर्फ रूबी और रोहित सिंह तोमर का आपराधिक साम्राज्य नेताओं और अफसरों की छत्रछाया में फलता-फूलता रहा। पिछले 19 सालों से रायपुर में आतंक का पर्याय बने इन भाइयों पर आज तक जिलाबदर जैसी कार्रवाई का न होना, इस गठजोड़ की गहराई को बयां करता है। यह हाल तब है जब इनसे कम अपराध वाले कई बदमाशों को पुलिस जिलाबदर कर चुकी है।
कर्ज का जाल और वसूली का खौफनाक खेल
तोमर बंधुओं का काम करने का तरीका किसी फिल्मी विलेन से कम नहीं था। वे जरूरतमंद लोगों को पहले सामान्य ब्याज पर कर्ज देकर अपने जाल में फंसाते थे। कर्ज देते समय गारंटी के तौर पर कोरे स्टाम्प पेपर, ब्लैंक चेक और जमीन के कागजात रखवा लिए जाते थे। मूल रकम चुकाने के बाद भी ब्याज का मीटर चलता रहता था। जो कोई पैसे देने से मना करता, उस पर कहर टूट पड़ता।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
गुंडे भेजकर मारपीट और जान से मारने की धमकी देना आम बात थी। वसूली का पूरा साम्राज्य रोहित तोमर की निगरानी में चलता था, जिसके लिए उसने कई गुंडे पाल रखे थे। कई बार तो कर्जदारों को अगवा कर उनकी बेरहमी से पिटाई भी की जाती थी। कारोबारी, किसान और नौकरीपेशा लोग इनके आतंक का शिकार बन चुके थे, लेकिन खौफ के मारे कोई शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
सियासी पोस्टरों की आड़ में थाने पर धौंस
आरोपी वीरेंद्र तोमर ने खुद को सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर पेश करने के लिए राष्ट्रीय करणी सेना जैसे संगठन का सहारा लिया और प्रदेश अध्यक्ष तक बन गया। शहर भर में नेताओं के साथ अपने पोस्टर लगाकर उसने अपनी एक रसूखदार छवि बनाई। इन्हीं पोस्टरों और सियासी संबंधों का इस्तेमाल वह थानों में अपना प्रभाव जमाने और अपने काम निकलवाने के लिए करता था।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
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पुलिस रेड से पहले ही फरार, कौन है मुखबिर?
सूत्रों की मानें तो तोमर बंधुओं की पुलिस विभाग में भी गहरी पैठ थी। जिस रात पुलिस उनके घर पर छापा मारने वाली थी, उसकी भनक उन्हें पहले ही लग गई। पुलिस के पहुंचने से पहले ही दोनों भाई दो कारों में कर्ज और जमीन से जुड़े अहम दस्तावेज और नकदी भरकर फरार हो गए। शक की सुई पुलिस विभाग के ही किसी निचले स्तर के कर्मचारी पर है, जिस पर मुखबिरी का संदेह है।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
पीड़ितों को नहीं मिलता संरक्षण, कैसे मिले सजा?
यह भी सामने आया है कि तोमर बंधुओं के खिलाफ गवाही देने वाले पीड़ितों और गवाहों को पुलिस की ओर से कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती। यही वजह है कि 2019 में ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी जैसे गंभीर मामले दर्ज होने के बावजूद आज तक किसी भी मामले में उन्हें सजा नहीं हो पाई है।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
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तीन महीने में 7 नए मामले दर्ज
पुलिस की हालिया सक्रियता के बाद मई से जुलाई के बीच ही वीरेंद्र तोमर, रोहित तोमर, उनकी पत्नियों और भतीजे के खिलाफ तेलीबांधा और पुरानी बस्ती थाने में ब्लैकमेलिंग, कर्जा एक्ट और आर्म्स एक्ट के 7 नए मामले दर्ज किए गए हैं।तोमर बंधुओं का आतंक: 19 साल
अपराधों की लंबी फेहरिस्त:
2006: कारोबारी पर चाकू से हमला
2010: गुढ़ियारी में उगाही और गुंडागर्दी
2013: कोतवाली में युवक की हत्या
2015: महिला से अप्राकृतिक कृत्य
2017: भाठागांव में सूदखोरी और कर्जा एक्ट
2019: कोतवाली में सूदखोरी, ब्लैकमेलिंग, आर्म्स एक्ट
2024: अपहरण, ब्लैकमेलिंग और मारपीट के कई मामले









