छत्तीसगढ़ में बारिश का असर: गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली, अच्छी बारिश का इंतजार

छत्तीसगढ़ में बारिश का असर: गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली, अच्छी बारिश का इंतजार
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गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश ने जीवनदायिनी बांधों के जलस्तर में इजाफा किया है, लेकिन अभी भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। प्रदेश के सबसे बड़े बांधों में से एक, गंगरेल जलाशय का जलस्तर 56% तक पहुंच गया है, लेकिन जिले के अन्य तीन प्रमुख बांध – माડमसिल्ली, सोंढुर और दुधावा – अभी भी आधे से भी कम भरे हैं, जिन्हें लबालब होने के लिए अभी और अच्छी बारिश की दरकार है।
गंगरेल बांध में 3% की बढ़ोतरी, पर चिंता बरकरार
लगातार चार दिनों की बारिश के बाद, गंगरेल बांध के जलस्तर में 3% की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। बांध का जल भराव 53% से बढ़कर 56% हो गया है। यह एक अच्छी खबर है क्योंकि गंगरेल बांध से न केवल धमतरी, बल्कि राजधानी रायपुर और भिलाई जैसे बड़े शहरों में भी पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है। हालांकि, जल संसाधन विभाग और किसानों की नजरें अभी भी आसमान पर टिकी हैं, ताकि बांध अपनी पूरी क्षमता तक भर सके।गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली
माડमसिल्ली, सोंढुर और दुधावा बांध अब भी प्यासे
जहां गंगरेल बांध की स्थिति में सुधार हुआ है, वहीं जिले के अन्य महत्वपूर्ण बांधों को अभी भी मूसलाधार बारिश का इंतजार है। इन बांधों में जल भराव की स्थिति इस प्रकार है:
माડमसिल्ली बांध: 25.59%
सोंढुर बांध: 27.94%
दुधावा बांध: 22.75%
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि सिंचाई और अन्य जरूरतों के लिए इन बांधों का भरना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए मानसून का सक्रिय रहना बहुत जरूरी है।गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली
किसानों और शहरों की उम्मीदें टिकीं
धमतरी जिले के ये बांध पूरे क्षेत्र के लिए जीवन रेखा हैं। इनसे न केवल लाखों किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलता है, बल्कि कई बड़े शहरों की प्यास भी बुझती है। ऐसे में, बांधों का पूरी तरह से न भरना भविष्य में जल संकट की चिंता को बढ़ा सकता है। फिलहाल, सभी को उम्मीद है कि मानसून के आने वाले दौर में अच्छी बारिश होगी और ये सभी जलाशय पूरी तरह से भर जाएंगे।गंगरेल बांध 56% लबालब, पर बाकी तीन बड़े बांध अब भी आधे खाली









