
सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी, पत्रिका की पड़ताल के बाद दर्ज हुई FIR
जयपुर। सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी, साइबर ठगों ने इस बार ठगी का एक ऐसा जाल बुना है, जिसमें उन्होंने देश के राज्यपालों, सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट के जजों और केंद्रीय मंत्री तक के नाम का इस्तेमाल कर लिया। ‘राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025’ के नाम पर एक फर्जी वेबसाइट बनाकर ये ठग खिलाड़ियों और खेल अकादमियों से लाखों रुपये ऐंठ रहे थे। इस पूरे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तब हुआ जब ‘राजस्थान पत्रिका’ ने मामले की पड़ताल कर खबर प्रकाशित की, जिसके बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में साइबर पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
कैसे चल रहा था ठगी का ये खेल?
साइबर अपराधियों ने indiansportsaward.org नाम से एक बेहद पेशेवर दिखने वाली वेबसाइट बनाई। अपने झांसे को असली दिखाने के लिए उन्होंने इस पर कई बड़ी हस्तियों के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल किया।सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी
बड़े नाम, बड़ा झांसा: वेबसाइट की निर्णायक चयन समिति में उत्तराखंड, बिहार और यूपी के राज्यपालों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, सांसदों, विधायकों और कई बड़े IAS/IPS अधिकारियों को सदस्य के रूप में दिखाया गया था।
भव्य पुरस्कार समारोह का लालच: ठगों ने दावा किया कि ‘राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025’ का आयोजन 28 अगस्त 2025 को दिल्ली में होगा, जबकि ‘अंतर्राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025’ मुंबई के आलीशान ताज पैलेस होटल में आयोजित किए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री का नाम: झांसे को और पुख्ता करने के लिए यह भी दावा किया गया कि विजेताओं को केंद्रीय खेल मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया खुद पुरस्कृत करेंगे।
लाखों की “पंजीकरण” फीस: इन फर्जी पुरस्कारों के लिए आवेदन करने के नाम पर 51 हजार रुपये से लेकर साढ़े तीन लाख रुपये तक का भारी-भरकम पंजीकरण शुल्क मांगा जा रहा था, जिसका भुगतान QR कोड के जरिए लिया जा रहा था।
मीडिया की पड़ताल ने किया भंडाफोड़
जब इस वेबसाइट पर शक हुआ, तो उसने इसकी गहन पड़ताल की। 24 जुलाई को “राष्ट्रीय खेल पुरस्कार 2025 के नाम पर ठगी!” शीर्षक से खबर प्रकाशित करने के साथ ही अखबार ने संबंधित विभागों, यूपी और उत्तराखंड के राजभवन से संपर्क साधा। खबर के बाद हरकत में आए दोनों राज्यों के राजभवनों के आदेश पर देहरादून और लखनऊ के साइबर थानों में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी
सरकार और PIB ने भी किया था अलर्ट
केंद्र सरकार की आधिकारिक फैक्ट-चेकिंग इकाई, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने भी इस वेबसाइट को पूरी तरह से फर्जी बताते हुए लोगों को सावधान रहने की चेतावनी जारी की थी। PIB ने स्पष्ट किया था कि युवा मामले और खेल मंत्रालय का इस वेबसाइट या ऐसी किसी भी योजना से कोई लेना-देना नहीं है।सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी
सिस्टम की लापरवाही उजागर
हैरानी की बात यह है कि PIB द्वारा अलर्ट जारी किए जाने के बावजूद देश की कई संवैधानिक संस्थाओं के कर्मचारी और राज्यों की साइबर सेल इस बड़े फ्रॉड से पूरी तरह अनजान थीं। ‘पत्रिका’ के रिपोर्टर द्वारा व्यक्तिगत रूप से फोन और संदेश भेजकर सूचित किए जाने के बाद ही साइबर टीमें सक्रिय हुईं। इससे साइबर सुरक्षा को लेकर सरकारी विभागों की सुस्ती और लापरवाही भी उजागर हुई है।सावधान! राज्यपाल और जजों के नाम पर खेल पुरस्कार का महा-फ्रॉड, लाखों की ठगी
कैसे रहें सावधान?
किसी भी सरकारी योजना या पुरस्कार के लिए हमेशा आधिकारिक सरकारी वेबसाइट (जिनके अंत में gov.in या nic.in होता है) पर ही जानकारी सत्यापित करें।
किसी भी अनजान वेबसाइट पर भारी-भरकम पंजीकरण शुल्क मांगने पर तुरंत सतर्क हो जाएं।
QR कोड के जरिए भुगतान करने से पहले प्राप्तकर्ता की पहचान सुनिश्चित कर लें।
किसी भी संदिग्ध वेबसाइट या योजना की जानकारी तुरंत साइबर पुलिस (हेल्पलाइन नंबर 1930) को दें।









