NCG NEWSW DESK: देश के किसानों को अब बेसब्री से मानसून का इंतजार है। धान लगाने के बाद किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहा है। लेकिन ये खबर किसानों की टेंशन बढ़ा सकती है। दरअसल, केरल के तट पर मॉनसून एक सप्ताह की देरी से 8 जून को दस्तक दी है। देश के अन्य राज्यों में भी मॉनसून के पहुंचने में देर हो रही है। मौसम विभाग ने उत्तर भारत में 1 जूलाई तक मॉनसून के पहुंचने का अनुमान जताया है। मॉनसून में देरी का असर किसानों पर भी पड़ सकता है। सही समय पर बारिश नहीं होने के चलते किसानों धान की बुवाई और उसके उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा।
कमजोर मॉनसून का पूर्वानूमान
प्राइवेट फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर ने देश में अगले चार हफ्तों में कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी की है। इससे फसलें प्रभावित होने की समस्या बढ़ गई है। स्काईमेट ने कहा कि कमजोर मॉनसून के 6 जुलाई तक रहने के आसार है। यही वो समय होता है, जब बुवाई की जाती है और आने वाली बारिश की उम्मीद में किसान अपने खेतों को तैयार करते हैं।
पिछले साल भी किसानों को हुआ था काफी नुकसान
बता दें कि पिछले बार भी कमजोर मॉनसून के चलते किसानों को काफी खामियाजा उठाना पड़ा था। धान की बुवाई में किसानों को देरी करनी पड़ी थी, जिसके चलते उसकी उपज में भी गिरावट दर्ज की गई थी। उत्तर प्रदेश के 62 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया गया था। बिहार और झारखंड के भी सभी जिलों को सूखे की मार झेलनी पड़ी थी। सरकार ने उस दौरान किसानों कम सिंचाई की जरूरत वाली फसलों की खेती करने की अपील की थी।
डराने वाला है पूर्वानूमान!
अगर ऐसा हुआ तो लगातार दूसरे साल किसानों को धान की बुवाई के लिए तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। उत्पादन गिरने का असर किसानों की आय पर पड़ेगा। वहीं, दूसरी तरफ धान की पैदावार कम होने से सरकार के स्टॉक पर भी असर पड़ सकता है।