छत्तीसगढ़ की धरती उगलेगी इतिहास के राज, ‘विजन 2035’ से लिखे जाएंगे गौरव के नए अध्याय

छत्तीसगढ़ की धरती उगलेगी इतिहास के राज, ‘विजन 2035’ से लिखे जाएंगे गौरव के नए अध्याय
मुख्य बातें:
छत्तीसगढ़ का पुरातत्व विभाग ‘विजन 2035’ के तहत आठ सूत्रीय योजना पर करेगा काम।
नदियों के किनारे, बस्तर और सरगुजा के अनछुए इलाकों में होगी नए पुरातात्विक स्थलों की खोज।
प्राचीन शैलचित्रों का होगा संरक्षण, 36 मिट्टी के गढ़ों का रहस्य किया जाएगा उजागर।
लक्ष्य: छत्तीसगढ़ को देश के पुरातात्विक नक्शे पर एक नई और गौरवशाली पहचान दिलाना।
इतिहास के पन्नों में जुड़ेगा छत्तीसगढ़ का नया अध्याय
छत्तीसगढ़ की धरती उगलेगी इतिहास के राज, छत्तीसगढ़ के गौरवशाली अतीत के अनगिनत रहस्य अब जल्द ही दुनिया के सामने होंगे। राज्य के पुरातत्व विभाग ने एक महत्वाकांक्षी ‘विजन 2035’ तैयार किया है, जिसका उद्देश्य प्रदेश की छिपी हुई पुरातात्विक धरोहरों को खोजना, सहेजना और उन्हें वैश्विक पहचान दिलाना है। यह विजन प्रदेश के गठन से लेकर अब तक हुए शोध और भविष्य की योजनाओं पर आधारित है।
क्या हैं ‘विजन 2035’ के 8 प्रमुख लक्ष्य?
नदियों के किनारे खोज: प्रदेश में बहने वाली शिवनाथ, जोंक, इंद्रावती और हसदेव जैसी प्रमुख नदियों के किनारे सर्वेक्षण कर नए पुरातात्विक स्थलों की खुदाई की जाएगी।
शैलचित्रों का संरक्षण: छत्तीसगढ़ शैलचित्रों के मामले में बेहद समृद्ध है। रायगढ़ और कांकेर में मिली 80 से अधिक रॉक पेंटिंग्स को संरक्षित करने के लिए विभाग ने नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के साथ समझौता किया है। गुफाओं को मौसम की मार से बचाने के लिए पेड़ लगाने से लेकर दरारों को भरने तक का काम होगा।
36 गढ़ों के रहस्य का खुलासा: छत्तीसगढ़ का नाम 36 गढ़ों पर पड़ा है। विभाग अब इन सभी 36 मृत्तिकागढ़ों (मिट्टी के किलों) को खोजकर उनका दस्तावेजीकरण करेगा ताकि इस नाम के पीछे का पूरा इतिहास सामने आ सके।
बस्तर-सरगुजा में पहली बार खुदाई: बस्तर और सरगुजा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र अब तक पुरातात्विक खुदाई से अछूते रहे हैं। अब यहां कई जगहों को चिन्हित कर खुदाई की जाएगी, जिससे इस क्षेत्र का अनकहा इतिहास पता चलेगा।
काल का सटीक निर्धारण: प्रदेश के प्रागैतिहासिक स्थलों और शैलचित्रों की सही उम्र जानने के लिए रायगढ़, कोरबा और कांकेर से सैंपल एकत्र कर उनकी वैज्ञानिक जांच कराई जाएगी।
चिन्हित स्थलों पर उत्खनन: मल्हार, रीवा और तरीघाट जैसे पहले से चिन्हित पुरास्थलों पर खुदाई कर उनके कालक्रम और बसाहट के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जाएगी।
रीवा: प्राचीन व्यापार का केंद्र? रायपुर के रीवा में चल रही खुदाई से मौर्य काल से लेकर कल्चुरी काल तक के अवशेष मिले हैं। यहां मिले मोतियों और भारत की पहली मुद्रा (सिल्वर पंचमार्क सिक्के) से अनुमान है कि यह स्थान प्राचीन भारत में एक बड़ा कारखाना और व्यापारिक केंद्र रहा होगा।
महेशपुर बनेगा पर्यटन केंद्र: सरगुजा के महेशपुर में 8वीं से 13वीं सदी के शैव, वैष्णव, जैन और सूर्य संप्रदाय से जुड़े अवशेष मिले हैं। इस धरोहर को संरक्षित कर एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने बताया कि इस विजन प्लान के जरिए छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास को और बेहतर ढंग से दुनिया के सामने रखा जा सकेगा, जिससे प्रदेश की पहचान और पर्यटन दोनों को बढ़ावा मिलेगा।छत्तीसगढ़ की धरती उगलेगी इतिहास के राज









