निडर छत्तीसगढ़/रायपुर । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण: पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव में से राजस्थान एवम छत्तीसगढ़ को शुरू से ही कहा जा रहा था कि इन दोनो राज्य में कांग्रेस की सरकार आना लगभग तय है। खासकर तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को कोई नहीं हरा सकता,भले ही वह राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस शायद उम्मीद पे खरा ना उतरे। छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का मजबूत किला मान लिया गया था। जिसके पीछे ठोस कारण यह थे कि 90 में 71 सीटें कांग्रेस के पास थीं। जबकि भाजपा 2018 के चुनाव में मात्र 15 ही सीट पर सीमट गई थी। भाजपा के बड़े से बड़े नेताओं ने भी यह नहीं सोचा था कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी उनकी सरकार बनेगी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण
लेकिन ऐसा कैसे हो गया? इस पर गहन चिंतन, मनन, विश्लेषण करने से पता चलता है कि ऐसा होने के अनेक कारण हैं। जिनमें से चुनाव में धांधली से लेकर भाजपा नेताओं द्वारा आम जनता में चुनावी प्रसाद आदि बांटना हैं। लेकिन सबसे बड़ा कारण यह लगता है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार में अपने पार्टी के पदाधिकारियो, पुराने निष्ठावान सदस्यों तथा कार्यकर्ताओं को कोई महत्व नहीं दिया। उन्हें हर तरह से उपेक्षित रखा, जिनमें से अधिकतर निराश होकर घर में बैठ गए और उन्होंने भाजपा के दुष्प्रचार का कोई जवाब नहीं दिया। इसी कारण कारण मतदान में बहुत फर्क पड़ा। कांग्रेस शासन के अधिकतर मंत्री चुनाव हार चुके हैं ,उनका भी व्यवहार अपने पार्टी के पदाधिकारियों (विभाग,संगठन,मोर्चा,प्रकोष्ठ),कार्यकर्ताओं तथा आम जनता से भी ठीक नहीं था। मुख्यमंत्री के आसपास मंडराने वाले नेता लोग अपने को भगवान से कम नहीं समझते थे। आम जनता का मुख्यमंत्री से मिलना ऐसे लोग कठिन कर देते थे। गिने चुने चमचे लोग मुख्यमंत्री को इस तरह घेरे रहते थे कि पदाधिकारी, कार्यकर्ता को भी उनसे मिलना मुश्किल था, तो फिर गरीब जनता की बात ही क्या है । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण
मुख्यमंत्री ने विगत दो-तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ के गांव गांव का दौरा किया,जो की एक अच्छी बात कही जानी चाहिए लेकिन चमचों की घेराबंदी के कारण बहुत से पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं एवं आम जनता से उनकी बात नहीं हो पाती थी। यह असंतोष भी कांग्रेस की हार का बहुत बड़ा फैक्टर बन गया। मुख्यमंत्री के आसपास रहने वाले नेता लोग तथा अफसर भी वे लोग थे जो 5 वर्ष पूर्व भाजपा के खास माने जाते थे दुख की बात है कि मुख्यमंत्री भी उनकी बहुत सुनते थे। स्वयं मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने भाजपा काल के कुर्सी से चिपके हुए अफसरों को नहीं हटाया । जहां तक बना, उन भ्रष्टाचारियो का प्रमोशन ही किया। यही लोग लगातार विश्वासघात करते रहे और मुख्यमंत्री को पता तक नहीं चला कि कब उन लोगों ने उनके नीचे की कुर्सी खींच ली। यह चमचे और अफसर ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन के पतन के लिए जिम्मेदार हैं। यह षड्यंत्रकारियों की जमात है, जिसने कांग्रेस को दोबारा शासन में आने नहीं दिया ,अन्यथा काम करने में कांग्रेस सरकार किसी भी सरकार से पीछे नहीं थी। किसानों नौजवानों , व्यापारियों , सबके साथ इस सरकार ने न्याय किया था, किंतु षड्यंत्र कारियों के आगे हार गई । जिसका प्रत्येक बुद्धिजीवी को दुख रहेगा।छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भी जिम्मेदार हो सकती है। इसके बारे में भारत के कंप्यूटर क्रांति के जनक सैम पित्रोदा ने तो कह दिया है कि इसे हैक करना बच्चों का खेल है। फिर भी हमारा विचार है कि यदि ऐसा किया गया होगा, तो यह 15 – 20% से अधिक हेराफेरी वाली बात नहीं होगी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण
इसका मुख्य कारण तो हम कांग्रेस के पदाधिकारियों व लाखों कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा को ही मानते हैं, जिनके कारण पार्टी अपना प्रचार सही तरीके से गांव-गांव में नहीं कर पाई और उसे भाजपा के दुष्प्रचार के आगे हारना पड़ गया। यह भी दुख की बात है कि कांग्रेस पार्टी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बदले बैलट पेपर के उपयोग के लिए सरकार को मजबूर करने कोई आंदोलन भी नहीं करती। यही नहीं 15 लाख रुपए खाते में और 20 करोड़ को रोजगार वाली बात पर भी कांग्रेस ने उतना जोर नहीं दिया, जितना देना चाहिए था। वह मतदाताओं से कह सकती थी कि जो भी बीजेपी वाला तुम्हारे पास वोट मांगने आए ,उससे कहो कि पहले हमारे 15 ला जमा करो, फिर वोट मांगो। दुख की बात है कि देशभर में कांग्रेस के किसी कार्यकर्ता ने मतदाताओं को इस तरह की प्रेरणा नहीं दी और अब नतीजा सामने है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण