छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय: ‘प्राथमिक शाला’ का नाम होगा इतिहास, जानिए युक्तियुक्तकरण से जुड़े बड़े बदलाव
मुख्य बिंदु:
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छत्तीसगढ़ में ‘युक्तियुक्तकरण’ नीति के तहत स्कूलों का विलय।
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‘प्राथमिक शाला’ शब्द का अस्तित्व लगभग समाप्त होगा।
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स्कूल का नाम अब उसमें संचालित होने वाली सबसे ऊंची कक्षा के आधार पर होगा।
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एक ही परिसर के सभी स्कूलों का एक ही यू-डायस कोड होगा।
रायपुर। छत्तीसगढ़ की स्कूली शिक्षा प्रणाली एक बड़े और ऐतिहासिक परिवर्तन की ओर अग्रसर है। राज्य सरकार की ‘युक्तियुक्तकरण’ (Rationalization) नीति के तहत अब शासकीय विद्यालयों के नामकरण की पूरी व्यवस्था बदल जाएगी। इस बदलाव के बाद दशकों से हमारी पहचान का हिस्सा रहा ‘प्राथमिक शाला’ शब्द अब केवल इतिहास की किताबों और कुछ चुनिंदा स्थानों पर ही सिमट कर रह जाएगा।छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय
क्या है स्कूलों का युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण नीति का मुख्य उद्देश्य एक ही परिसर (कैंपस) में चल रहे विभिन्न स्तर के स्कूलों को मिलाकर एक एकीकृत इकाई बनाना है। उदाहरण के लिए, यदि किसी सरकारी भवन में प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकेंडरी स्कूल अलग-अलग संचालित हो रहे थे, तो अब उन्हें प्रशासनिक रूप से एक ही स्कूल माना जाएगा। इस विलय का लक्ष्य संसाधनों का बेहतर उपयोग, प्रशासनिक कार्यों में सुगमता और छात्रों को एक ही स्कूल में पहली से बारहवीं तक की निर्बाध शिक्षा प्रदान करना है।छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय
कैसे तय होगा स्कूलों का नया नाम?
स्कूलों के विलय के बाद उनके नामकरण का एक नया और स्पष्ट नियम लागू किया गया है। अब स्कूल का नाम उसमें संचालित होने वाली सर्वोच्च कक्षा के स्तर के अनुसार रखा जाएगा:छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय
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हायर सेकेंडरी स्कूल: यदि किसी स्कूल में कक्षा 1 से 12वीं तक की पढ़ाई होती है, तो उसका नाम ‘शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल’ होगा।
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हाई स्कूल: जहाँ कक्षा 10वीं तक की पढ़ाई होती है, उसे ‘शासकीय हाई स्कूल’ कहा जाएगा।
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माध्यमिक शाला: जिन स्कूलों में उच्चतम कक्षा 8वीं है, वे ‘शासकीय माध्यमिक शाला’ (मिडिल स्कूल) के नाम से जाने जाएंगे।
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प्राथमिक शाला: ‘प्राथमिक शाला’ शब्द केवल उन्हीं स्कूलों के नाम के साथ जुड़ेगा, जहाँ सिर्फ कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई होती है। प्रदेश में ऐसे स्कूल बहुत कम हैं, जिसके कारण यह नाम अब विलुप्त होने की कगार पर है।
एक परिसर, एक स्कूल, एक यू-डायस कोड
इस नई व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यू-डायस (UDISE) कोड का एकीकरण भी है। पहले एक ही कैंपस में चल रहे प्राथमिक, माध्यमिक और हाई स्कूल के अलग-अलग यू-डायस कोड होते थे, जिससे प्रशासनिक जटिलताएँ पैदा होती थीं। अब विलय के बाद पूरे एकीकृत स्कूल का केवल एक ही यू-डायस कोड होगा, जो उस परिसर में संचालित होने वाले सर्वोच्च स्कूल (जैसे हायर सेकेंडरी) का कोड होगा। इससे सरकारी रिकॉर्ड और योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और सरलता आएगी।छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय
अंकसूची से लेकर पहचान पट्टिका तक, हर जगह दिखेगा बदलाव
यह बदलाव सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं रहेगा। आने वाले नए शैक्षणिक सत्र से पहले इसे पूरी तरह से लागू करने की तैयारी है।
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आधिकारिक दस्तावेज: छात्रों की अंकसूची (मार्कशीट), ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) और अन्य सभी शासकीय दस्तावेजों में स्कूल का नया नाम दर्ज होगा।
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स्कूल की नाम पट्टिका: स्कूलों के बाहर लगी पुरानी नाम पट्टिकाओं को बदलकर नई पट्टिकाएं लगाई जाएंगी, जिन पर स्कूल का नया एकीकृत नाम और नया यू-डायस कोड अंकित होगा।
यह कदम छत्तीसगढ़ की स्कूली शिक्षा प्रणाली को सुव्यवस्थित और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।छत्तीसगढ़ में शिक्षा का नया अध्याय