गले में स्मार्ट मीटर लटकाए कलेक्ट्रेट पहुंचा युवक: “साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”
बलौदाबाजार में बिजली विभाग की मनमानी, 8 महीने बाद आया बेतहाशा बिल; उपभोक्ता परेशान

बलौदाबाजार: गले में स्मार्ट मीटर लटकाए कलेक्ट्रेट पहुंचा युवक: “साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में बिजली विभाग की कथित मनमानी का एक अनोखा और हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। ग्राम सुढहेला निवासी विश्वनाथ भारद्वाज नामक एक युवक मंगलवार को गले में स्मार्ट मीटर लटकाकर सीधे कलेक्टर कार्यालय पहुंच गया। उसका आरोप है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद विभाग ने उसे आठ महीने तक कोई बिजली का बिल नहीं भेजा, और फिर अचानक 22 हजार रुपये का भारी-भरकम बिल थमा दिया, जबकि उसका सामान्य बिल कभी भी 200 रुपये से अधिक नहीं आता था।
विश्वनाथ भारद्वाज ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उसके घर में पहले लगे पुराने मीटर से बिजली का बिल कभी भी 200 रुपये से ज्यादा नहीं आता था। लेकिन जब से स्मार्ट मीटर लगाया गया है, तब से विभाग ने आठ महीने तक कोई बिल ही नहीं भेजा। आठ महीने बाद अचानक 22 हजार रुपये का बिल देखकर उसे गहरा झटका लगा”साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”
शिकायत के बाद भी नहीं मिला संतोषजनक जवाब
विश्वनाथ ने बताया कि जब उसने इस मनमाने बिल को लेकर बिजली विभाग के स्थानीय कार्यालय में शिकायत की, तो अधिकारियों ने शुरू में उसे टालमटोल करते हुए कहा कि उसे यह बिल चुकाना ही पड़ेगा। लगातार विरोध के बाद, जब उसने मुख्यालय कार्यालय में जांच कराई, तो उसका बिल घटाकर 50% यानी 10,800 रुपये कर दिया गया।”साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”
हालांकि, विश्वनाथ अब भी इस मनमाने बिल का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि जब उसका सामान्य बिल 200 रुपये आता था, तो 10,800 रुपये भी उसके लिए बहुत ज्यादा हैं। इसी विरोध स्वरूप, वह अपने गले में स्मार्ट मीटर लटकाकर कलेक्टर से मिलने पहुंचा और उन्हें एक आवेदन सौंपते हुए मीटर वापस लौटाने की बात कही।”साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”
जिले भर में मनमाने बिलों से उपभोक्ता परेशान”
यह केवल विश्वनाथ भारद्वाज का अकेला मामला नहीं है। बलौदाबाजार जिले में मनमाने बिजली बिलों को लेकर उपभोक्ता बड़े पैमाने पर परेशान हैं। जिले के सभी हिस्सों से इस प्रकार की शिकायतें बहुतायत में मिल रही हैं, लेकिन विद्युत विभाग अभी तक इन समस्याओं पर आंखें मूंदे बैठा है। जब उपभोक्ता अपनी शिकायतें लेकर कार्यालय जाते हैं, तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता और अक्सर उन्हें केवल बिल भुगतान करने के लिए कहा जाता है।”साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”
अब देखना यह होगा कि इस ग्रामीण की अनूठी शिकायत पर बिजली विभाग और जिला प्रशासन क्या कदम उठाते हैं। यह घटना बिजली विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित करती है, ताकि उपभोक्ताओं को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।”साहब, कभी 200 से ज़्यादा नहीं आता था, अब 22 हज़ार का बिल थमा दिया!”









