वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं, इंटरनल ब्लीडिंग और मौत भी संभव, चोट लगने पर नहीं रुकेगा खून
वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की खबरों ने हर किसी को बेचैन कर दिया है। कुछ लोग तो साइड इफेक्ट्स रोकने के लिए ब्लड थिनर्स भी ले रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है, बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से ऐसी दवाएं लेना सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। जानिए-ब्लड थिनर्स के बारे में सबकुछ।
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भारत में हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसे कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को रोकने के लिए बहुत से लोग खून को पतला करने वाली दवाएं यानी ब्लड थिनर्स ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी ऐसी बहुत सी सलाह दी जा रही है। दरअसल, हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत में ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि कोविड वैक्सीन लेने वाले लोगों में हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक जैसे रेयर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
कंपनी ने दुनिया भर से ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वायरस को रोकने वाली वैक्सीन को मंगाने का भी ऐलान किया है। भारत में इसी फॉर्मूले पर सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई गई थी, जिसके सबसे ज्यादा 175 करोड़ डोज लगाए गए थे। वहीं, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में इस वैक्सीन को वैक्सजेवरिया नाम दिया गया है। इसके बाद से ब्लड थिनर्स की डिमांड बढ़ गई है, मगर ये ब्लड थिनर्स काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं। इस बारे में कई रिसर्च और डॉक्टरों से बात की गई, जिन्होंने इसे जानलेवा तक बताया है।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
क्या होते हैं ब्लड थिनर्स, कैसे करते हैं ये काम?
झारखंड की राजधानी रांची में इंटरनेशनल मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉक्टर रविकांत चतुर्वेदी के अनुसार, ब्लड थिनर्स एक तरह की दवाएं होती हैं, जो हमारी धमनियों और शिराओं में खून का थक्का बनने से बचाती हैं। इसका ब्लड वेसल्स यानी धमनियों और वेंस यानी शिराओं में खून के प्रवाह को बनाए रखने में मददगार होता है। इसे एंटी प्लेटलेट्स ड्रग्स और एंटी कोआगुलेंट्स भी कहते हैं। एक बात महत्वपूर्ण बात यह जाननी जरूरी है कि अगर शरीर में पहले से खून के थक्के बने हुए हैं तो ये दवाएं उसे तोड़ती नहीं हैं। इतना जरूर है कि ये उस थक्के को और बड़ा बनने से रोक देंगी। ऐसे में यह जानकारी होनी जरूरी है, क्योंकि खून की नालियों में थक्के बनते हैं, जिनकी वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और ब्लॉकेज होता है।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
दुनिया में तकरीबन 30 लाख लोग हर साल ब्लड थिनर्स लेते हैं। सबसे खतरनाक खून के थक्के पैर में बनते हैं। अगर कोई मोटापे से पीड़ित है तो उसमें थक्के बनने की आशंका ज्यादा होती है। डॉ. रविकांत कहते हैं वैक्सीन सिर्फ भारत में ही नहीं लगी है। पूरी दुनिया में लगी है। उस समय आनन-फानन में सबकी जान बचानी जरूरी थी। फिर हर वैक्सीन के साइड इफेक्ट होते हैं। वो भी बेहद रेयर। जैसे इसी मामले में हर 10 लाख में से 1 को साइड इफेक्ट्स की आशंका रहती है। घबराने की जरूरत नहीं है और न ही टेंशन लेने की जरूरत है। बस अपनी लाइफस्टाइल दुरुस्त रखिए और सेहत पर ध्यान दीजिए।
किसी को ब्लड थिनर्स की जरूरत कब पड़ती है? सोशल मीडिया देखकर खुद के डॉक्टर न बनें
अगर किसी को दिल या ब्लड वेसल से जुड़ी किसी तरह की कोई दिक्कत है तो वह ब्लड थिनर ले सकता है। अगर दिल की धड़कन सामान्य नहीं है, यानी एट्रियल फिब्रिलेशन है तो भी ब्लड थिनर का इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर किसी ने हार्ट वॉल्व का रिप्लेस कराया है तो भी उसे ब्लड थिनर दिया जा सकता है। सर्जरी के बाद अगर खून के थक्के बनने की आशंका है तो भी यह दवा दी जाती है। दिल से जुड़ी बीमारी में भी ये दवाएं दी जाती हैं। मगर एक बात यह ध्यान में रखना चाहिए कि किसी को भी ब्लड थिनर्स तभी लेना चाहिए, जब डॉक्टर या स्पेशलिस्ट उसे ब्लड थिनर्स लेने की सलाह दे। यू-ट्यूब, फेसबुक, वाट्सऐप या इंस्टाग्राम पर दी गई सलाह को मानकर खुद के डॉक्टर न बनें।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
कितने तरह के होते हैं ब्लड थिनर्स, किन-किन लोगों को दी जाती हैं?
वेबसाइट मेडलाइन प्लस के अनुसार, ब्लड थिनर्स दो तरह के होते हैं-एक एंटी कोआगुलेंट्स जैसेकि हीपैरिन या वारफैरिन (इसे कोउमैडिन भी कहते हैं)। ये दवाएं शरीर में कहीं भी खून के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं। वहीं, एंटीप्लेटलेट्स दवाएं जैसे कि एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल वगैरह खून में मौजूद प्लेटलेट्स को एकजुट होने से रोकती हैं। ये दवाएं अक्सर उन लोगों को दी जाती हैं, जिन्हें पहले हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो चुका है।
ध्यान रहे, ब्लड थिनर्स खानपान, शराब किसी के साथ भी रिएक्ट कर सकते हैं
डॉक्टरों के अनुसार, अगर कोई ब्लड थिनर ले रहा है तो उसे बेहद सावधानी से लेना चाहिए। ब्लड थिनर्स कुछ खास तरह के खानपान, दवाओं, विटामिंस और शराब वगैरह से भी रिएक्ट कर सकते हैं। आपके डॉक्टर को आपकी बीमारी के साथ-साथ आपकी दवाओं और सप्लीमेंट्स के बारे में सबकुछ पता होना चाहिए। जो भी लोग रेगुलर ब्लड थिनर्स ले रहे हैं, उन्हें रेगुलर ब्लड टेस्ट कराकर यह देखना चाहिए कि आपके खून में थक्का कितना बन रहा है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपको थक्का बनने से रोकने के लिए कितनी दवाएं लेनी चाहिए। यह इतनी भी ज्यादा नहीं होनी चाहिए कि इससे इंटरनल ब्लीडिंग हो जाए.वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
ब्लड थिनर्स मेडिसिन लेने के बाद साइड इफेक्ट क्या हो सकते हैं?
डॉ. रविकांत चतुर्वेदी कहते हैं कि ब्लड थिनर्स का सबसे आम साइड इफेक्ट इंटरनल ब्लीडिंग है। इससे पेट खराब रहना, नाक बहना और डायरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यूरिन लाल या भुरा हो सकता है। मसूढ़ों और नाक से खून बह सकता है, जो जल्दी नहीं थमेगा। उल्टी की शिकायत हो सकती है। भयंकर सिरदर्द या पेटदर्द हो सकता है। हमेशा कमजोरी महसूस हो सकती है। अगर कोई महिला ब्ल्ड थिनर्स ले रही है तो उसे हैवी पीरियड्स आ सकते हैं। कई बार बिना जाने-सुने ब्लड थिनर्स मेडिसिन लेना किसी को भी मौत के दरवाजे तक पहुंचा सकता है।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.
विटामिन K खून के थक्के बनाने में मददगार, ब्लीडिंग रोकने में सहायक
लिवर में बनने वाला विटामिन K हमारे रक्त वाहिकाओं में खून के थक्के बनाने में मददगार होता है और ब्लीडिंग रोकता है। ऐसे में अगर आप ब्लड थिनर ले रहे हैं तो आपको पत्तागोभी, ब्रोकली, एस्परगस, मस्टर्ड ग्रींस और सलाद जैसी चीजों को खाने से बचना चाहिए।
नेचुरल ब्लड थिनर्स क्या होते हैंहेल्थलाइन वेबसाइट के अनुसार, अगर आप ब्लड थिनर्स दवाएं नहीं लेना चाहते हैं तो आप नेचुरल ब्लड थिनर्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकते हैं, जो आपके शरीर में रक्त के थक्के बनने से रोकने में मददगार साबित हो सकता है। ये नेचुरल ब्लड थिनर्स हैं, विटामिन-E के सोर्स वाली ऑलिव ऑयल, कॉर्न, सोयाबीन और अंकुरित गेहूं जैसी चीजें। इसके अलावा, पालक, टमाटर, मैंगो, किवी, पीनट बटर, बादाम, सूर्यमुखी के बीज, ब्रोकली वैगरह भी रक्त को पतला करते हैं।वैक्सीन लगवाने वाले ले रहे खून पतला करने की दवाएं.