छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे, 20 साल में पहली बार रेगिस्तान बना मोंगरा बैराज
Chhattisgarh Water Crisis: छत्तीसगढ़ में मानसून ने भले ही दस्तक दे दी हो, लेकिन कमजोर सक्रियता के कारण बारिश का इंतजार लंबा होता जा रहा है। इस बीच, प्रदेश के जलाशयों पर भारी संकट मंडरा रहा है। राज्य के पांच प्रमुख बांध पूरी तरह सूख चुके हैं और बड़े बांधों में भी जलस्तर खतरनाक रूप से नीचे गिरकर महज 24% पर आ गया है। यह स्थिति आने वाले दिनों में भीषण पेयजल और सिंचाई संकट की ओर इशारा कर रही है।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे
क्यों आई यह नौबत? मार्च से अब तक आधा पानी खत्म
इस संकट की शुरुआत मार्च महीने से हुई जब सरकार ने निस्तारी (घरेलू उपयोग) और तालाबों को भरने के लिए बांधों से पानी छोड़ने का फैसला किया। उस समय बांधों में 55% से अधिक जलभराव था। लेकिन भीषण गर्मी और पानी की लगातार निकासी के कारण महज डेढ़ महीने में जलस्तर आधा रह गया है। अधिकारियों का मानना है कि पानी की निकासी का सही आकलन न हो पाना भी इस स्थिति का एक बड़ा कारण है।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे
इन 5 जलाशयों में बची है सिर्फ धूल: पहली बार सूखे बड़े बांध
राज्य के पांच जलाशय पूरी तरह सूखकर मैदान में तब्दील हो गए हैं। इन बांधों में अब पानी की एक बूंद भी नहीं बची है:
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मुरुमसिल्ली बांध
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मोंगरा बैराज
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किनकारी नाला
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पेंड्रावन
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धारा जलाशय
20 साल में पहली बार सूखा मोंगरा बैराज: राजनांदगांव और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले की जीवनरेखा कहा जाने वाला मोंगरा बैराज पिछले 20 सालों में पहली बार पूरी तरह सूख गया है। शिवनाथ नदी पर बने इस बैराज के सूखने से हजारों लोगों के सामने पेयजल का संकट खड़ा हो गया है और किसान सिंचाई के लिए तरस रहे हैं।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे
चारागाह बना माड़मसिल्ली बांध: महानदी परियोजना का महत्वपूर्ण माड़मसिल्ली (मुरुमसिल्ली) बांध का नजारा किसी को भी हैरान कर सकता है। यह बांध अब एक चारागाह में बदल गया है, जहां मवेशी घास चरते नजर आ रहे हैं। बांध अपनी डेड स्टोरेज क्षमता पर पहुंच चुका है और अब इसे केवल मानसून की झमाझम बारिश का ही इंतजार है।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे
बड़े बांधों का भी हाल बेहाल: पेयजल पर मंडराया संकट
छोटे ही नहीं, प्रदेश के बड़े बांधों का भी हाल चिंताजनक है। ज्यादातर बांधों में अब केवल पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए ही पानी आरक्षित रखा गया है।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे
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कोड़ार बांध: 8%
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तांदुला बांध: 17%
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सिकासार और सोंदूर बांध: 18%
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दुधावा बांध: 19%
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मिनीमाता बांगो बांध: 25%
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गंगरेल बांध: 31%
सूखे के पीछे के असली कारण
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस विकराल जल संकट के पीछे कई कारण हैं:
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कमजोर बारिश: पिछले साल उम्मीद से कम बारिश होना।
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लगातार निकासी: निस्तारी के लिए बांधों से लगातार पानी छोड़ा जाना।
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भीषण गर्मी: तेज गर्मी के कारण पानी का तेजी से वाष्पीकरण होना।
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भूजल स्तर में गिरावट: जमीन के नीचे भी पानी का स्तर लगातार घट रहा है।
अब पूरे प्रदेश की निगाहें आसमान पर टिकी हैं। अगर मानसून जल्द ही सक्रिय नहीं हुआ, तो छत्तीसगढ़ को एक बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।छत्तीसगढ़ में जल संकट की घंटी: 5 बांध पूरी तरह सूखे