जंगल उजड़ रहे, इंसान मर रहे: नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत, जिम्मेदार कौन?
सूरजपुर, छत्तीसगढ़
“जिंदगी की कीमत लकड़ी से भी सस्ती हो गई है…”
यह वाक्य एक और मजदूर की दर्दनाक मौत के साथ सच साबित हुआ। उत्तर प्रदेश से रोज़गार की तलाश में छत्तीसगढ़ आया मजदूर मोहम्मद जुल्फेकार (उम्र 35 वर्ष), नीलगिरी की कटाई के दौरान भारी टहनी की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
⚙️ कैसे हुआ हादसा?
सूरजपुर ज़िले के जंगलों में मशीन से नीलगिरी के पेड़ों की कटाई चल रही थी। तभी अचानक एक भारी टहनी टूटकर जुल्फेकार के सीने पर गिर गई। साथियों ने गंभीर हालत में उसे भैयाथान अस्पताल पहुंचाया, जहां से सूरजपुर जिला अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी साँसे थम गईं। नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
🚨 कटाई का कारोबार और राजनीतिक संरक्षण
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बीते छह महीनों से उत्तर प्रदेश के व्यापारियों द्वारा सूरजपुर और आसपास के इलाकों में नीलगिरी, सेमर और कदम जैसे पेड़ों की खुलेआम कटाई हो रही है। नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
- न सुरक्षा इंतज़ाम
- न नियमों की पालना
- न वन विभाग की कार्रवाई
कहा जा रहा है कि इस अवैध कटाई को राजनीतिक सरंक्षण प्राप्त है, जिससे प्रशासन और वन विभाग मूकदर्शक बने हुए हैं नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
🌳 सिर्फ पेड़ नहीं, इंसानियत भी कट रही है
यह मौत सिर्फ एक मजदूर की नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता की पोल खोलती है। जुल्फेकार जैसे सैकड़ों मजदूर अपने परिवारों की खातिर दूर-दराज़ इलाकों में काम करते हैं, लेकिन जब उनके जीवन की कीमत एक पेड़ की लकड़ी से भी कम हो जाती है, तो यह समाज के पतन की तस्वीर बन जाती है। नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
📢 ग्रामीणों की मांगें
- उच्च स्तरीय जांच हो
- मृतक परिवार को मुआवज़ा मिले
- अवैध कटाई पर पूर्ण प्रतिबंध लगे
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस मुद्दे को लेकर प्रशासन को घेरा है और कड़ी कार्रवाई की माँग की है। नीलगिरी की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
- पेड़ की कटाई के दौरान मजदूर की दर्दनाक मौत
• छह महीने से जारी अवैध कटाई
• सुरक्षा इंतजामों की भारी कमी
• प्रशासनिक निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण
• पर्यावरण और मानव जीवन दोनों पर संकट