MP में ‘एंबुलेंस’ से गो-तस्करी, पुलिस पर हमला… कौन है इस खूनी खेल का ‘मास्टरमाइंड’? ग्राउंड रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
पुलिस पर हमला… कौन है इस खूनी खेल का ‘मास्टरमाइंड’? मध्य प्रदेश की सड़कें बेजुबान मवेशियों के लिए मौत का रास्ता बनती जा रही हैं। मंडीदीप में हुए हालिया बवाल से लेकर सतना, रायसेन और राजधानी भोपाल तक, गो-तस्करों का नेटवर्क बाप है” के नारे लगवाए।
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नीमच: यहां एक साथ 9 ट्रकों से 100 से ज्यादा गोवंश जब्त किए गए, जो तस्करी के विशाल स्तर को उजागर करता है।
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सतना, सीधी, खंडवा: इन जिलों में भी लगातार मवेशियों से भरे ट्रक पकड़े जा रहे हैं, लेकिन यह नेटवर्क की सिर्फ एक छोटी सी कड़ी है।
हिंसा और बवाल: जब तस्करी ने लिया खूनी रूप
यह सिर्फ बेजुबानों की तस्करी नहीं, बल्कि इंसानी जान का भी सौदा बन चुका है।
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रायसेन: गौ-तस्करी के शक में हुई मारपीट में भोपाल के एक युवक की जान चली गई।
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मंडीदीप: मवेशियों से भरे ट्रक को रोकने पर दो समुदायों में भारी बवाल हुआ, थाने का घेराव किया गया और एक युवक पर जानलेवा हमला हुआ।
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खरगोन बेखौफ होकर अपना काला कारोबार चला रहा है। ट्रकों और कंटेनरों में जानवरों को ठूंस-ठूंसकर क्रूरता की सारी हदें पार की जा रही हैं।
पुलिस छोटी-मोटी कार्रवाइयां तो करती है, लेकिन सवाल जस का तस है: आखिर इस पूरे नेटवर्क का सरगना कौन है? पुलिस के हाथ मास्टरमाइंड तक क्यों नहीं पहुंच पा रहे? क्या यह नेटवर्क इतना शक्तिशाली है या पुलिस सिस्टम लाचार है?पुलिस पर हमला… कौन है इस खूनी खेल का ‘मास्टरमाइंड’?
रोंगटे खड़े करने वाले तरीके: तस्करी का खौफनाक सच
गो-तस्कर कानून और इंसानियत, दोनों को धता बताते हुए तस्करी के लिए ऐसे-ऐसे तरीके अपना रहे हैं, जो किसी को भी हैरान कर दें।
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एंबुलेंस का खूनी खेल: धार और बालाघाट में सामने आए मामलों ने सबको चौंका दिया। तस्कर मरीजों की जान बचाने वाली एंबुलेंस में ठूंस-ठूंस तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि उन्होंने पुलिस के वाहन को ही टक्कर मार दी।
पुलिस का एक्शन या सिर्फ खानापूर्ति?
पुलिस समय-समय पर कार्रवाई का दावा करती है। मंडला में तस्करों के 11 घरों पर बुलडोजर भी चलाया गया। लेकिन ये कार्रवाइयां ज्यादातर ड्राइवर और छोटे गुर्गों तक ही सीमित रहती हैं।
आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) अंशुमान सिंह के अनुसार, “सभी जिलों को सख्त निर्देश हैं। हमारी टीमें गिरोह का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। हम जल्द ही बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करेंगे।” लेकिन सवाल उठता है कि सालों से चल रहे इस खेल के मास्टरमाइंड अब तक पर्दे के पीछे क्यों हैं?
क्या कहता है कानून? (Cattle Trafficking Laws in MP)
सकर गोवंश भर रहे थे ताकि चेकिंग से बच सकें। टायर फटने पर जब राज खुला तो एंबुलेंस से दर्जनों मवेशी बरामद हुए, जिनमें कुछ की दम घुटने से मौत हो चुकी थी।
- पुलिस से सीधी टक्कर: तस्करों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे पुलिस पर हमला करने से भी नहीं चूकते। खरगोन में जब पुलिस ने एक तस्कर वाहन को रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने सीधे पुलिस की गाड़ी को ही टक्कर मार दी।
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भीड़ और बवाल का सहारा: मंडीदीप में जब मवेशियों से भरा ट्रक पकड़ा गया, तो तस्करों ने समुदाय विशेष के लोगों को इकट्ठा कर थाने का घेराव कर दिया और बवाल मचाया। उनकी कोशिश थी कि हंगामे की आड़ में मामला रफा-दफा हो जाए।
मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम, 2004 के तहत:
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सजा: गोवंश की तस्करी, खरीद-फरोख्त या वध पर 7 साल तक की कैद और 50,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
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पुलिस को अधिकार: पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी और वाहन जब्त कर सकती है।
स्पष्ट कानून के बावजूद इसका खौफ तस्करों में क्यों नहीं है, यह एक बड़ा सवाल है।
क्यों और कैसे चलता है यह ‘खूनी’ कारोबार?
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क्यों: मुख्य वजह बांग्लादेश और नेपाल में गोमांस की भारी मांग है। भारत में सस्ते मिलने वाले मवेशी सीमा पार ऊंचे दामों पर बिकते हैं, जिससे तस्करों को मोटा मुनाफा होता है।
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कैसे क्रूरता की हदें पार: भोपाल में एक ट्रक से 48 जिंदा और 2 मृत गोवंश बरामद हुए, जिन्हें रस्सियों से बेरहमी से बांधा गया था। यह दिखाता है कि तस्करों के लिए ये बेजुबान जानवर सिर्फ एक ‘माल’ हैं, जिनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं।
क्यों नहीं रुक रहा तस्करी का यह खेल?
पूरे प्रदेश में फैले इस नेटवर्क पर पूरी तरह लगाम न लग पाने की कई वजहें हैं:** ट्रकों और कंटेनरों में क्रूरता से मवेशियों को भरा जाता है। फर्जी दस्तावेज, रात का समय और जंगल-नदी के रास्तों का इस्तेमाल कर इस नेटवर्क को चलाया जाता है।पुलिस पर हमला… कौन है इस खूनी खेल का ‘मास्टरमाइंड’?
यह साफ है कि यह कुछ लोगों का काम नहीं, बल्कि एक अंतरराज्यीय सिंडिकेट है, जिसे तोड़ने के लिए सिर्फ ट्रक पकड़ने से ज्यादा, इसके वित्तीय नेटवर्क और मास्टरमाइंड पर सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत है।पुलिस पर हमला… कौन है इस खूनी खेल का ‘मास्टरमाइंड’?