Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’? इन 7 गानों का जादू जो कभी खत्म नहीं होगा

Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’? इन 7 गानों का जादू जो कभी खत्म नहीं होगा
Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’? जब भी भारतीय सिनेमा की बात होती है, ‘शोले’ का नाम सबसे ऊपर आता है। इस फिल्म के डायलॉग, किरदार और कहानी आज भी लोगों की जुबान पर हैं। लेकिन इस फिल्म की आत्मा सिर्फ गब्बर के डायलॉग्स या जय-वीरू की दोस्ती में ही नहीं, बल्कि इसके अमर संगीत में भी बसती है। आज 50 साल बाद भी ‘शोले’ के गाने उतने ही ताजे और लोकप्रिय हैं, जितने वे रिलीज के समय थे।
संगीत का वो जादुई त्रिकोण: पंचम दा, आनंद बख्शी और सुनहरी आवाजें
‘शोले’ के संगीत की सफलता का श्रेय तीन महारथियों को जाता है। संगीतकार आर.डी. बर्मन (पंचम दा) का जीनियस संगीत, गीतकार आनंद बख्शी के सरल लेकिन गहरे बोल और किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मन्ना डे जैसी सुनहरी आवाजों ने मिलकर एक ऐसा एल्बम तैयार किया जो इतिहास बन गया।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
1. ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे: दोस्ती का राष्ट्रगान
यह सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि दोस्ती का राष्ट्रगान है। किशोर कुमार और मन्ना डे की आवाज में यह गीत आज भी हर महफिल की शान है। खास बात यह है कि धर्मेंद्र के चुलबुले किरदार के लिए किशोर दा ने गाया, तो अमिताभ के गंभीर किरदार के लिए मन्ना डे ने। पंचम दा ने इस गाने में हारमोनियम, सारंगी से लेकर माउथ ऑर्गन तक का ऐसा इस्तेमाल किया कि यह गीत हमेशा के लिए अमर हो गया।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
2. महबूबा महबूबा: वो गाना जो आज भी पार्टियों की जान है
पंचम दा की अपनी आवाज में गाया यह गाना आज भी क्लब और पार्टियों की पहली पसंद है। बोतल और सैक्सोफोन से शुरू होने वाली इसकी धुन आपको थिरकने पर मजबूर कर देती है। हेलेन के डांस और जलाल आगा के अंदाज ने इस गाने को एक अलग ही लेवल पर पहुंचा दिया। यह गाना आज भी रीमिक्स की दुनिया का बादशाह है।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
3. होली के दिन दिल खिल जाते हैं: रंगों का सबसे यादगार गीत
होली का त्योहार इस गाने के बिना अधूरा लगता है। किशोर कुमार और लता मंगेशकर की आवाज में यह गीत होली की मस्ती और छेड़छाड़ को पूरी तरह से बयां करता है। आनंद बख्शी के बोल “जा रे जा दीवाने तू… छेड़े ना मुझे बेशर्म” आज भी होली के हुड़दंग का हिस्सा हैं।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
4. जब तक है जां: बसंती का नाच और लता जी का कमाल
कांच के टुकड़ों पर नाचती बसंती (हेमा मालिनी) और बैकग्राउंड में लता मंगेशकर की दर्द भरी लेकिन मजबूत आवाज। यह गाना सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि एक पूरा सीन है। पंचम दा का संगीत ऐसा है कि लगता है जैसे वाद्य यंत्र गब्बर के अड्डे पर ही बज रहे हों। लता जी की गायकी का यह सर्वश्रेष्ठ नमूनों में से एक है।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
5. कोई हसीना जब रूठ जाती है तो: धरम पाजी का चुलबुला अंदाज
यह गाना पूरी तरह से धर्मेंद्र के चुलबुले और रोमांटिक अंदाज को ध्यान में रखकर बनाया गया था। किशोर कुमार ने अपनी शरारती आवाज से इस गाने में जान डाल दी और धर्मेंद्र ने पर्दे पर इसे उतनी ही मस्ती से निभाया। यह आज भी रूठी हुई प्रेमिका को मनाने के लिए एक परफेक्ट गाना है।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
6. ये दोस्ती (Sad Version): चार लाइनों में दर्द का समंदर
जय की मौत के बाद वीरू का दर्द दिखाती इस गाने की सिर्फ चार लाइनें हैं, लेकिन किशोर कुमार ने इन चंद सेकंड में भावनाओं का एक ऐसा समंदर भर दिया, जो सीधे दर्शकों के दिल में उतर गया। यह गाना साबित करता है कि संगीत को महान होने के लिए लंबा होना जरूरी नहीं है।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?
7. शोले की धुन (Theme Music): वो संगीत जो रोंगटे खड़े कर दे
यह सिर्फ एक बैकग्राउंड म्यूजिक नहीं, बल्कि ‘शोले’ की पहचान है। बिना किसी शब्द के यह धुन फिल्म का पूरा माहौल बना देती है। आज भी कोई भी ऑर्केस्ट्रा इस धुन को बजाकर दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है। यह संगीत ऑस्कर के लायक था।Sholay के 50 साल: आज भी क्यों बजते हैं ‘ये दोस्ती’ और ‘महबूबा’?









