क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद? समझिए चांद, हज और भूगोल का पूरा खेल
हर साल बकरीद (ईद-उल-अज़हा) के मौके पर भारत में यह सवाल उठता है कि सऊदी अरब में यह त्योहार एक दिन पहले क्यों मनाया जाता है? जबकि दोनों ही जगहों पर इस्लामिक कैलेंडर का पालन होता है। इसका जवाब सिर्फ चांद में नहीं, बल्कि हज, भूगोल और परंपरा में छिपा है। आइए, इस पूरे गणित को आसान भाषा में समझते हैं। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
सबसे पहले: बकरीद का हज से क्या है सीधा कनेक्शन?
ईद-उल-अज़हा, यानी कुर्बानी का त्योहार, सीधे तौर पर इस्लाम के पांचवें स्तंभ हज से जुड़ा है। इस्लामिक कैलेंडर के 12वें और आखिरी महीने ‘ज़िल-हिज्जा’ की 10वीं तारीख को यह त्योहार मनाया जाता है। यह दिन हज की सबसे बड़ी रस्मों के ठीक बाद आता है:
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9 ज़िल-हिज्जा: हज का सबसे महत्वपूर्ण दिन, जिसे ‘यौम-ए-अराफा’ कहते हैं। इस दिन दुनिया भर से आए हाजी मक्का के पास अराफात के मैदान में इकट्ठा होते हैं।
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10 ज़िल-हिज्जा: हज के अगले दिन जानवर की कुर्बानी दी जाती है, जो पैगंबर इब्राहिम की सुन्नत को याद दिलाती है।
चूंकि हज की सभी पवित्र जगहें (मक्का, मीना, अराफात) सऊदी अरब में हैं, इसलिए हज की तारीखें वहां के हिसाब से तय होती हैं और उसी के अनुसार वहां ईद मनाई जाती है।
सारा खेल ‘चांद’ का है: समझिए कैसे?
इस्लामिक कैलेंडर पूरी तरह से चंद्रमा पर आधारित है। हर नया महीना चांद का पहला वर्धमान (हिलाल) दिखने के बाद ही शुरू होता है। यहीं से तारीखों का अंतर पैदा होता है। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
1. भौगोलिक स्थिति और टाइम ज़ोन:
भारत, सऊदी अरब से लगभग 2 घंटे 30 मिनट आगे है। भौगोलिक रूप से सऊदी अरब भारत के पश्चिम में है। इस वजह से, नए महीने का चांद सऊदी अरब और उसके आसपास के इलाकों में एक दिन पहले दिखने की संभावना अधिक होती है, जबकि भारत में वह अगले दिन दिखाई देता है। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
2. स्थानीय चांद देखने की परंपरा (रुयत-ए-हिलाल):
इस्लामिक परंपरा के अनुसार, हर इलाके के मुसलमानों को अपने स्थानीय स्तर पर चांद देखकर ही त्योहार मनाना चाहिए। इसे ‘रुयत-ए-हिलाल’ कहते हैं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देश इसी परंपरा का पालन करते हैं। इसलिए जब भारत में चांद दिखता है, तभी यहां ईद की घोषणा होती है, भले ही सऊदी में एक दिन पहले हो चुकी हो। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
तारीख तय करने का अलग-अलग सिस्टम
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सऊदी अरब में: यहां चांद देखने की प्रक्रिया एक केंद्रीय प्राधिकरण (सुप्रीम कोर्ट और खगोलीय विभाग) द्वारा संचालित होती है। उनकी घोषणा पूरे देश में लागू होती है। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
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भारत में: यहां अलग-अलग शहरों में स्थानीय ‘रुयत-ए-हिलाल कमेटी’ (चांद देखने वाली समितियां) हैं। वे अपने-अपने क्षेत्र में चांद देखकर घोषणा करती हैं। यही कारण है कि कभी-कभी केरल में उत्तर भारत से एक दिन पहले ईद मन जाती है, क्योंकि वहां की भौगोलिक स्थिति और अरब देशों से निकटता के कारण चांद पहले दिख सकता है। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
Hajj 2025: भारतीय हाजियों की वापसी कब?
𝗛𝗔𝗝𝗝 𝟮𝟬𝟮𝟱 begins tonight (4 June) and will end on the evening of 8 June. In-Sha Allah. 🕋
“Labbayka Allahumma labbayk, labbayka la sharika laka labbayk, inna al-hamda wa’l-ni’mata laka wa’l-mulk, la sharika lak”🤍 pic.twitter.com/AX1DZv1QCU
— Cool_Ustaaz ☪ (@Cool_Ustaz) June 3, 2025
हज कमेटी ऑफ इंडिया द्वारा जारी शेड्यूल के अनुसार, Hajj 2025 के बाद भारतीय हाजियों का पहला जत्था 11 जून 2025 से भारत लौटना शुरू होगा। इस साल भारत का हज कोटा 1,75,025 है। सभी हाजी 11 जून से 10 जुलाई 2025 के बीच अलग-अलग उड़ानों से वापस आएंगे। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
परंपरा बनाम विज्ञान: क्या एक कैलेंडर संभव है?
आज के दौर में यह बहस भी छिड़ी है कि क्या चांद देखने की पारंपरिक पद्धति की जगह एक वैज्ञानिक और खगोलीय गणना पर आधारित स्थायी इस्लामिक कैलेंडर अपनाना चाहिए? उत्तरी अमेरिका की इस्लामिक सोसाइटी (ISNA) जैसे संगठन पहले से ही खगोलीय गणना का उपयोग करते हैं। इससे तारीखों का भ्रम खत्म हो सकता है, लेकिन कई धार्मिक विद्वान स्थानीय स्तर पर चांद देखने की सदियों पुरानी परंपरा को ही सही मानते हैं। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?
संक्षेप में, सऊदी अरब और भारत में बकरीद की अलग-अलग तारीखों के पीछे हज का केंद्रीय महत्व, भौगोलिक अंतर, टाइम ज़ोन और स्थानीय चांद देखने की धार्मिक परंपरा जैसे कई कारण मिलकर काम करते हैं। क्यों मनती है सऊदी और भारत में अलग-अलग दिन बकरीद?