क्यों पड़ रही है इतनी ज्यादा गर्मी? पढ़िए ये डरावनी रिपोर्ट
अत्यधिक गर्मी का असर दुनिया के कई देशों में देखा जा रहा है। भारत के कई राज्यों में इस समय तापमान 50 के करीब पहुंच गया है। तेजी से बढ़ते तापमान पर एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले साल जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को औसतन 26 दिन अधिक गर्मी सहनी पड़ी थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर जलवायु परिवर्तन नहीं होता तो यह स्थिति नहीं होती।
पिछले साल पृथ्वी पर सबसे अधिक गर्मी दर्ज की गई थी। इसका एक प्रमुख कारण जीवाश्म ईंधन का जलना है। अध्ययन में पाया गया कि दुनिया की लगभग 80% आबादी पिछले मई से असामान्य गर्मी का सामना कर रही है।
अध्ययन से पता चला है कि अगर हमने पृथ्वी को गर्म नहीं किया होता, तो यह इतनी गर्म नहीं होती। वैज्ञानिकों ने एक गणितीय मॉडल बनाकर पृथ्वी के तापमान का अनुमान लगाया है। गर्मी में अंतर हर जगह अलग-अलग होता है। कुछ देशों ने केवल दो या तीन सप्ताह के लिए अत्यधिक गर्मी का अनुभव किया। जबकि कोलंबिया, इंडोनेशिया और रवांडा जैसे देशों ने 120 दिनों से अधिक समय तक गर्मी का अनुभव किया।
अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों में से एक एंड्रयू पर्शिंग ने कहा कि हमने प्रकृति पर बहुत अधिक बोझ डाला है। दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में 120 दिनों की अतिरिक्त गर्मी पूरी तरह से जलवायु परिवर्तन के कारण थी। मंगलवार को जारी रिपोर्ट को जलवायु परिवर्तन पर नज़र रखने वाले तीन समूहों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है। इनमें क्लाइमेट सेंट्रल, रेड क्रॉस रेड क्रिसेंट क्लाइमेट सेंटर और वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन शामिल हैं।
यह बात भारत में किए गए एक अध्ययन में सामने आई
भारत में बढ़ते तापमान के बारे में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भुवनेश्वर के एक नए शोध में पाया गया कि शहरीकरण के कारण भारत के 140 से अधिक प्रमुख शहरों की रातें अपने आसपास के गैर-शहरी क्षेत्रों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक गर्म होती हैं। .. शहरीकरण का सबसे बड़ा प्रभाव अहमदाबाद, जयपुर, राजकोट में देखा गया, जबकि दिल्ली-एनसीआर चौथे और पुणे पांचवें स्थान पर रहा।