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गंगा का जल आचमन के योग्य नहीं: एनजीटी की रिपोर्ट ने बढ़ाई साधु-संतों की चिंता, महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई की मांग

प्रयागराज—महाकुंभ 2025 के पहले ही गंगा की स्वच्छता पर सवाल उठाते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में गंगा के पानी की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई है। एनजीटी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रयागराज समेत कई शहरों का सीवेज सीधे गंगा में गिर रहा है, जिससे जल प्रदूषित हो गया है और आचमन के योग्य भी नहीं बचा है। इस मुद्दे पर साधु-संतों में नाराजगी है और उन्होंने कुंभ से पहले गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने की मांग की है। गंगा का जल आचमन के योग्य नहीं: एनजीटी की रिपोर्ट ने बढ़ाई साधु-संतों की चिंता, महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई की मांग

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एनजीटी की रिपोर्ट में गंगा प्रदूषण की गंभीरता

एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वे सभी जिलों के सीवेज नालों और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) का ब्यौरा एक हलफनामे में पेश करें। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रयागराज में नगर निगम क्षेत्र से 468.28 एमएलडी सीवेज निकलता है, जिसमें से केवल 394.48 एमएलडी का ही शोधन हो पाता है, जबकि एसटीपी की कुल क्षमता केवल 340 एमएलडी है। इस कमी के कारण अधिक मात्रा में असंशोधित सीवेज गंगा में गिर रहा है, जिससे जल की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। गंगा का जल आचमन के योग्य नहीं: एनजीटी की रिपोर्ट ने बढ़ाई साधु-संतों की चिंता, महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई की मांग

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महाकुंभ से पहले गंगा की शुद्धता पर संतों की चिंता

महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत गंगा में स्नान करते हैं और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। संतों ने इस बात पर जोर दिया है कि गंगा की पवित्रता बनाए रखना जरूरी है ताकि आस्था को ठेस न पहुंचे। उन्होंने सरकार से अपील की है कि समय रहते गंगा को शुद्ध और निर्मल बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। गंगा का जल आचमन के योग्य नहीं: एनजीटी की रिपोर्ट ने बढ़ाई साधु-संतों की चिंता, महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई की मांग

सरकार से कार्य योजना की मांग

एनजीटी ने मुख्य सचिव से चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि गंगा में गिरने वाले सीवेज को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता बढ़ाने के लिए क्या योजनाएं हैं। इस मामले में अगली सुनवाई महाकुंभ के समय, 20 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है। गंगा का जल आचमन के योग्य नहीं: एनजीटी की रिपोर्ट ने बढ़ाई साधु-संतों की चिंता, महाकुंभ से पहले गंगा की सफाई की मांग

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