छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर: पटवारी और पत्रकार पर जानलेवा हमला, बालोद में दहशत का माहौल

छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर: पटवारी और पत्रकार पर जानलेवा हमला, बालोद में दहशत का माहौल
जांच करने पहुंचे पटवारी और पत्रकार पर हाईवा से कुचलने की कोशिश, लोहे की रॉड से हमला
बालोद (छत्तीसगढ़)। राज्य में रेत माफियाओं का आतंक दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला बालोद जिले के ग्राम मरकाटोला का है, जहां अवैध रेत भंडारण की जांच करने पहुंचे हल्का पटवारी डोमेंद्र नेताम और दो पत्रकारों पर जानलेवा हमला किया गया। हमले में एक पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि पटवारी ने किसी तरह दौड़कर जान बचाई।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
कैसे हुआ हमला?
13 मई 2025 को अनुविभागीय अधिकारी गुरुर राम कुमार सोनकर के निर्देश पर हल्का पटवारी डोमेंद्र नेताम अवैध रेत भंडारण की जांच करने मरकाटोला स्थित देवकी बाई ठाकुर के फार्म हाउस पहुंचे थे। वहीं कवरेज के लिए पत्रकार कृष्णा गंजीर और अमित मंडावी भी मौके पर मौजूद थे।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
जैसे ही टीम ने रेत की फोटो और वीडियो लेना शुरू किया तथा आवक रॉयल्टी पर्चियों की जानकारी मांगी, तो मौके पर मौजूद रेत तस्कर ओमू उर्फ उमेश्वर साहू और उसके साथियों ने हमला बोल दिया।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
हाईवा से कुचलने और लोहे की पाइप से मारने का प्रयास
माफियाओं ने पहले तो हाईवा वाहन से कुचलने की कोशिश की, फिर पत्रकार कृष्णा गंजीर पर लोहे की पाइप और डंडों से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। हमलावरों की नीयत हत्या करने की थी, लेकिन घायल पत्रकार किसी तरह भाग निकले और पुलिस को सूचना दी।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
पुलिस ने दर्ज किया मामला, 8 आरोपी गिरफ्तार
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुरुर पुलिस ने IPC की धाराओं 296, 351(2), 191(2), 191(3), 190, 109 के तहत केस दर्ज कर लिया है। हाईवा वाहन और हमला करने वाले हथियार जब्त कर लिए गए हैं। पुलिस ने अब तक 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि मुख्य आरोपी ओमू साहू और रविकांत साहू फरार हैं। प्रशासन ने दोनों की जल्द गिरफ्तारी का दावा किया है।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
अवैध रेत भंडारण पर उठे सवाल
आरोपी ओमू साहू ने अपने नाम पर रेत भंडारण की अनुमति और रॉयल्टी बुक जरूर ले रखी थी, लेकिन भंडारण केंद्र पर मौजूद 22,000 से अधिक घन मीटर रेत किस नदी से, कब, और किस पर्ची से आई—इसका कोई वैध रिकॉर्ड नहीं मिला। यही जांच करने के लिए अधिकारी पहुंचे थे, तभी हमला हुआ।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
प्रदेश में लगातार बढ़ रहे माफिया हमले, पत्रकार असुरक्षित
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्रकार की हत्या और बलरामपुर में पुलिस आरक्षक शिवबचन सिंह को कुचलने की वारदात भी सामने आ चुकी है। ऐसे मामलों में पत्रकारों और अधिकारियों को निशाना बनाना आम होता जा रहा है।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर
प्रशासनिक लापरवाही या माफियाओं का खुला खेल?
छत्तीसगढ़ में अवैध रेत खनन और माफिया नेटवर्क शासन-प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं। जब शासकीय अधिकारी और पत्रकार तक सुरक्षित नहीं, तो आम लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठना लाज़मी है।छत्तीसगढ़ में रेत माफिया का कहर









