सारंगढ़-बिलाईगढ़: बरमकेला तहसील से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गौरव ग्राम, बड़े नावापारा को आदर्श ग्राम के रूप में जाना जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन की हकीकत यहां की सड़कों पर बिखरी गंदगी से साफ झलकती है। गांव को ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित किया गया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकारी दस्तावेजों में यह गांव स्वच्छ और ओडीएफ होने का दावा करता है, जबकि वास्तविकता में लोग आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं। बरमकेला : ओडीएफ योजना सिर्फ कागजों में, गांव की स्वच्छता व्यवस्था चरमराई
सरकारी योजनाओं पर खर्च हुए लाखों, लेकिन हालात वही
सरकार ने गांव में हर घर में शौचालय बनवाने के लिए लाखों रुपये खर्च किए, लेकिन गांव की मुख्य सड़कों पर फैली गंदगी ने प्रशासन के दावों की पोल खोल दी है। ग्रामीणों को गंदगी और बदबू से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे स्थानीय लोगों और खासकर स्कूली बच्चों को भारी परेशानी हो रही है। सरस्वती शिशु मंदिर के विद्यार्थी गंदगी की वजह से स्कूल आने से कतराते हैं। बरसात के दिनों में हालात और भी खराब हो जाते हैं, जिससे बीमारी फैलने का खतरा बढ़ जाता है। बरमकेला : ओडीएफ योजना सिर्फ कागजों में, गांव की स्वच्छता व्यवस्था चरमराई
स्वच्छता की अनदेखी से ग्रामीणों की सेहत पर खतरा
गांव की स्वच्छता की अनदेखी के चलते यहां के लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। गंदगी और खुले में शौच की वजह से गांव में संक्रमण और महामारी का खतरा लगातार बना रहता है। प्रशासन और पंचायत की उदासीनता के कारण ग्रामीणों की स्वच्छता और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। बरमकेला : ओडीएफ योजना सिर्फ कागजों में, गांव की स्वच्छता व्यवस्था चरमराई
क्या शासन उठाएगा कदम?
अब यह देखना होगा कि इस खबर के बाद प्रशासन हरकत में आता है या फिर स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं कागजों में दम तोड़ती रहेंगी। बरमकेला : ओडीएफ योजना सिर्फ कागजों में, गांव की स्वच्छता व्यवस्था चरमराई