बिलासपुर

बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

बिलासपुर (पचपेढ़ी तहसील): एक बड़ा भूमि घोटाला सामने आया है जिसमें पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी स्वामित्व में बदल दिया। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जांच में यह खुलासा हुआ कि पटवारी राजीव टोन्ड्रे ने यह हेराफेरी की। जांच में पाया गया कि पटवारी ने सरकारी जमीन का रिकॉर्ड बदलकर इसे आवेदक मंशाराम के नाम कर दिया और इसके बदले रिश्वत ली। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

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मामले का पूरा विवरण

यह मामला मस्तूरी विकासखंड के पचपेढ़ी तहसील से जुड़ा है, जहां ग्राम भुरकुंडा की सरकारी जमीन को पटवारी ने निजी स्वामी के नाम पर चढ़ा दिया। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकारी जमीन के खसरा नंबर 423 की जमीन को निजी स्वामित्व में दिखाकर पांच एकड़ जमीन का पर्चा कटवाया गया। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

जमीन के इतिहास का खुलासा

यह जमीन 1928-29 में अयोध्या प्रसाद के नाम दर्ज थी, जिसे बाद में उनके वारिस ने मध्यप्रदेश सरकार को दान में दिया। 1996 तक यह जमीन स्वास्थ्य विभाग के नाम थी, लेकिन 2017 से इसे घास भूमि के रूप में दर्ज किया गया। पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर इस जमीन को मंशाराम के नाम कर दिया। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

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हाईकोर्ट में आवेदक ने उठाया मुद्दा

मंशाराम ने दावा किया कि जमीन उसकी निजी संपत्ति है और हाईकोर्ट में याचिका दायर कर जमीन मांगी। जांच के दौरान पटवारी और तहसीलदार की रिपोर्ट पर एसडीएम ने इसे सरकारी जमीन बताया, लेकिन पटवारी द्वारा रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर इसे निजी स्वामित्व में बदला गया। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

6 लाख रुपये की रिश्वत का खुलासा

जांच में यह भी सामने आया कि पटवारी ने मंशाराम से 6 लाख रुपये की रिश्वत ली, यह वादा किया गया था कि तहसीलदार और एसडीएम को भी पैसा दिया जाएगा। मंशाराम को सरकारी जमीन को निजी बनाने के लिए फंसाया गया और पटवारी ने पर्ची काटकर जमीन को मंशाराम के नाम कर दिया। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध

सूत्रों के अनुसार, इस मामले में तत्कालीन तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसने पटवारी को ऐसा करने के लिए मजबूर किया। तहसीलदार ने एसडीएम को अंधेरे में रखकर नामांतरण और रजिस्ट्री प्रक्रिया में सहायता की। बड़ा खुलासा: पटवारी ने 6 लाख रुपये लेकर सरकारी जमीन को निजी किया, रिपोर्ट में घोटाला उजागर

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