Ncg news desk Raipur : –
छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को लेकर राजनीतिक दलों में बयानबाजी तेज हो गई है। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस पहले यह तय कर ले कि छत्तीसगढ़ में वह नक्सलवाद खत्म करना चाहती है कि नहीं चाहती। दीपक बैस, भूपेश बघेल और कांग्रेस के नेताओं के बयान और नक्सलियों के जारी पत्रों में वैचारिक समानता संदेह को जन्म देता है।
कांग्रेस ने अपने पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल में घोषणा पत्र में लिखने के बावजूद न तो नक्सल नीति बनाई और न ही उसे पर अमल किया। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद जिस प्रकार लगातार मुठभेड़ में सफलता प्राप्त हो रही है और जिस प्रकार लगातार भाजपा की सरकार नक्सलियों से वार्ता के लिए वातावरण तैयार कर रही है। ऐसा लगता है कि यह बात दीपक बैस और कांग्रेस को अच्छी नहीं लग रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा है कि तीन वर्ष के भीतर छत्तीसगढ़ में, देश में नक्सलवाद खत्म होकर रहेगा। उनकी नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस प्रकार छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार और उनके उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा नक्सल उन्मूलन को लेकर कार्य कर रहे हैं वह बताता है कि भाजपा सरकार की स्पष्ट नीति है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र का विकास करना है । नक्सलवाद में फंसे युवाओं को मुख्य धारा में लाकर उनके पुनर्वास के कार्य करने हैं और दूसरी तरफ जो नक्सली बंदूक की नली से बात करना चाहते हैं उन्हें उस भाषा में जवाब देना है।
नक्सलियों से सुझाव मांगने पर कांग्रेस ने खड़े किए सवाल
राज्य सरकार ने नक्सलियों से पुनर्वास नीति को लेकर सुझाव मांगा है, जिसपर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए है। कांग्रेस का कहना है कि पुनर्वास से पहले नक्सल नीति घोषित होनी चाहिए। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि नक्सलवाद को लेकर सरकार दिग्भ्रमित है।
पुरानी नीति खारिज करने के बाद अभी तक वर्तमान सरकार ने नक्सलवाद को लेकर कोई नीति घोषित नहीं किया है। सरकार पुनर्वास नीति लेकर आए, उसके पहले नक्सल नीति घोषित होनी चाहिए। जब नक्सल नीति घोषित करेंगे, तब पुनर्वास नीति बनेगी। यह उसका अंश है।
दीपक बैज ने सवाल खड़ा किया है कि पुनर्वास नीति के लिए सुझाव मांगने से पहले क्या सरकार की नक्सलियों से कोई वार्तालाप हुआ है। सुझाव मांगने से पहले परस्पर विश्वास का वातावरण बनाया जाना चाहिए, सरकार ने ऐसी कोई पहल किया है। यदि किया है तो नक्सलियों की तरफ से क्या कोई सकारात्मक जवाब आया है। दोनों पक्षों में नीति बनने तक युद्ध विराम (शांति की पहल) पर कोई सहमति बनी है।
यदि बनी है तो सरकार उसको सार्वजनिक करें। सरकार के मांगे गए सुझाव के दौरान यदि नक्सलियों की ओर से कोई वारदात हो गई तो सरकार का उसके बाद क्या योजना है। सरकार की पहल एकतरफा है या दूसरा पक्ष भी इससे सहमत है, इसको भी स्पष्ट करना चाहिए। बैज ने कहा कि कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि राज्य में शांति की स्थापना होनी चाहिए। नक्सलवाद एक संवेदनशील मसला है।
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