अनुकंपा नियुक्ति पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर नौकरी पाने वाली बहू को अपनी सास को गुजारा भत्ता देना होगा।
- अदालत ने स्पष्ट किया कि भले ही CrPC की धारा 125 के तहत सास-ससुर का भरण-पोषण बहू की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन न्याय के लिए इस मामले में अपवाद किया गया है।
- कोर्ट ने महिला को हर महीने 10,000 रुपये अपनी सास को देने का आदेश दिया है। सास को गुजारा भत्ता देगी बहू: हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
मामले का संक्षिप्त विवरण
- याचिकाकर्ता महिला को 2002 में पति की मौत के बाद, 2005 में रेल कोच फैक्ट्री में जूनियर क्लर्क की अनुकंपा नियुक्ति मिली।
- महिला ससुराल छोड़कर अपने बेटे के साथ अलग रहने लगीं।
- 2022 में महिला की सास ने फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता की मांग की।
- मार्च 2024 में फैमिली कोर्ट ने आदेश दिया कि महिला को हर महीने 10,000 रुपये अपनी सास को देने होंगे। सास को गुजारा भत्ता देगी बहू: हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
हाईकोर्ट ने क्यों दिया यह आदेश?
- हाईकोर्ट ने पाया कि महिला ने नौकरी के समय यह शपथपत्र दिया था कि वह अपने पति के परिवार और निर्भर सदस्यों की देखभाल करेंगी।
- सास के दूसरे बेटे की आर्थिक स्थिति कमजोर है और बेटी की शादी हो चुकी है, जिससे सास का भरण-पोषण करने वाला कोई नहीं है।
- महिला की वर्तमान आय 80,000 रुपये प्रति माह है, जो सास को 10,000 रुपये देने के लिए पर्याप्त है। सास को गुजारा भत्ता देगी बहू: हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
अदालत का तर्क और निर्देश
- अदालत ने कहा कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य किसी व्यक्ति को अभाव से बचाना है।
- यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गुजारा भत्ता का आदेश न्यायसंगत हो और इसे उत्पीड़न का हथियार न बनाया जाए।
- महिला की जिम्मेदारी है कि वह अपने दिवंगत पति के परिवार की देखभाल करें, क्योंकि उन्हें अनुकंपा नियुक्ति इसी आधार पर दी गई थी। सास को गुजारा भत्ता देगी बहू: हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
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