पिछले 5 साल में 219 छात्रों ने एमए (छत्तीसगढ़ी) किया पूरा, लेकिन नौकरी के लिए कोई सरकारी योजना नहीं
रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन कांग्रेस विधायक अनिला भेड़िया ने सरकार से सवाल किया कि राज्य में किन विश्वविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए (पीजी) कोर्स संचालित किए जा रहे हैं और अब तक कितने छात्रों ने डिग्री प्राप्त की है? इसके अलावा, छत्तीसगढ़ी भाषा में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के लिए सरकार ने कोई रोजगार योजना बनाई है या नहीं?
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने लिखित जवाब में स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ में कुल 5 विश्वविद्यालयों में एमए (छत्तीसगढ़ी) कोर्स उपलब्ध है, लेकिन सरकार के पास डिग्री प्राप्त छात्रों को नौकरी देने के लिए कोई योजना नहीं है और न ही इस संबंध में कोई डेटा संकलित किया गया है।
छत्तीसगढ़ के इन विश्वविद्यालयों में होती है एमए (छत्तीसगढ़ी) की पढ़ाई
🔹 सरकारी विश्वविद्यालय:
- पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (संचालन वर्ष 2013-14)
- कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर (संचालन वर्ष 2022-23)
🔹 निजी विश्वविद्यालय:
3. डॉ. सी. व्ही. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर (संचालन वर्ष 2018-19)
4. आईएसबीएम विश्वविद्यालय, गरियाबंद (संचालन वर्ष 2017-18)
5. भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग (संचालन वर्ष 2024-25)
वर्ष 2020 से जनवरी 2025 तक कुल 219 विद्यार्थियों ने एमए (छत्तीसगढ़ी) की उपाधि प्राप्त की है।
रोजगार को लेकर सरकार का क्या है रुख?
– छत्तीसगढ़ी भाषा में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए सरकार के पास कोई विशेष रोजगार योजना नहीं है।
– नौकरी पाने वाले छात्रों की संख्या को लेकर भी सरकार के पास कोई आधिकारिक डेटा नहीं है।
– छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने की बात कही जाती है, लेकिन रोजगार के अवसरों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
छत्तीसगढ़ी भाषा के भविष्य पर सवाल
✅ स्थानीय भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए एमए (छत्तीसगढ़ी) कोर्स शुरू किया गया, लेकिन करियर की संभावनाएं स्पष्ट नहीं।
✅ शिक्षा नीति में सुधार कर रोजगारोन्मुखी योजनाएं बनाने की जरूरत।
✅ छात्रों के लिए सरकारी नौकरियों और निजी क्षेत्रों में अवसर सुनिश्चित करने की मांग।